तुझे कुछ और भी दूँ !/ रामअवतार त्यागी

तुझे कुछ और भी दूँ !/ रामअवतार त्यागी

तुझे कुछ और भी दूँ !/ रामअवतार त्यागी तन समपित, मन समर्पित और यह जीवन समर्पित चाहता हूँ, देश की धरती तुझे कुछ और भी दूँ! माँ ! तुम्हारा ऋण बहुत है, मैं अकिंचन किंतु इतना कर रहा फिर भी निवेदन, थाल में लाऊँ सजाकर भाल जब स्वीकार कर लेना दयाकर वह समर्पण ! गान … Read more

किसान की दशा पर कविता

किसान खेत जोतते हुए

किसान की दशा पर कविता देख तोर किसान के हालका होगे भगवान !कि मुड़ धर रोवए किसान,ये का दुख दे भगवान !! पर के जिनगी बड़ सवारें,अपन नई थोरको फिकर जी !बजर दुख उठाये तन म,लोहा बरोबर जिगर जी !!पंगपंगावत बेरा उठ जाथे ,तभे होथे सोनहा बिहान !कि मुड़ धर रोवए किसान !! झुमत -गावत … Read more