तुझे कुछ और भी दूँ !/ रामअवतार त्यागी
तुझे कुछ और भी दूँ !/ रामअवतार त्यागी तन समपित, मन समर्पित और यह जीवन समर्पित चाहता हूँ, देश की धरती तुझे कुछ और भी दूँ! माँ ! तुम्हारा ऋण बहुत है, मैं अकिंचन किंतु इतना कर रहा फिर भी निवेदन, थाल में लाऊँ सजाकर भाल जब स्वीकार कर लेना दयाकर वह समर्पण ! गान … Read more