Tag धरती पर कविता

JALATI DHARATI

जलती धरती/ रितु झा वत्स

जलती धरती/ रितु झा वत्स विशुद्ध वातावारण हर ओरमची त्रास जलती धरती धूमिल आकाश पेड़ पौधे की क्षति होरही दिन रात धरती की तपिश कर रही पुकार ना जानेकब बरसेगी शीतल बयार प्लास्टिक की उपयोग हो रही लगातार दूषित हो रही…

JALATI DHARATI

धरती पर कविता/ डॉ विजय कुमार कन्नौजे

धरती पर कविता/ डॉ विजय कुमार कन्नौजे जलती धरती तपन ज्वलनक्रोधाग्नि सा ज्वाला।नशा पान में चुर हो बनते पाखंडी है मतवाला।। काट वृक्ष धरा किन्ह नगनधरती जलती , तु हो मगनवाह रे मानव,खो मानवताक्या सृष्टि का है यही लगन।। जरा…