
कारवाँ पर कविता / रमेश कुमार सोनी
कारवाँ पर कविता / रमेश कुमार सोनी धरती माँ से सुनीकल एक कहानीदूध की नदियाँ औरसोने की चिड़िया थी कभीआँचल रत्नगर्भा औरपानी की अमृतधारा थी यहींवृक्षों की ठंडी छाँह औरखट्टे-मीठे फल का स्वादपरोसती थी वो कभी । आज मुझे वो…
कारवाँ पर कविता / रमेश कुमार सोनी धरती माँ से सुनीकल एक कहानीदूध की नदियाँ औरसोने की चिड़िया थी कभीआँचल रत्नगर्भा औरपानी की अमृतधारा थी यहींवृक्षों की ठंडी छाँह औरखट्टे-मीठे फल का स्वादपरोसती थी वो कभी । आज मुझे वो…
जलती धरती / भावना मोहन विधानी वृक्ष होते हैं धरती का सुंदर गहना,हरियाली के रूप में धरा ने इसे पहनाहरे भरे वृक्षों को काट दिया मनुष्य ने,मनुष्य की क्रूरता का क्या कहना?तेज गर्मी से जलती जा रही धरती,अंदर ही अंदर…
जलती धरती/चन्दा डांगी बचपन मे हमने देखीहर पहाड़ी हरी भरी नज़र आता नही पत्थर कोई वहाँकटते गये जब पेड़ धरती होने लगी नग्न सिलसिला ये चलता रहाअब पत्थर नज़र आतेपेड़ो का पता नहींलाते थे हम सामान कपड़े की थैलियों मे…
जलती धरती /हरि प्रकाश गुप्ता सरल धरती जलती है तो जलने दीजिए।पेड़ कटते हैं तो कटने दीजिए।।भले ही जल जाए सभी कुछ यहांपर पर्यावरण की न चिंता कीजिए।कुछ तो रहम करो भविष्य के बारे में अपने लिए न सही आगे…
जलती धरती/शिव शंकर पाण्डेय न आग के अंगार से न सूरज के ताप से।।धरा जल रही है, पाखंडियों के पाप से।।सृष्टि वृष्टि जल जीवन सूरज।नार नदी वन पर्वत सूरज।।सूरज आशा सूरज श्वांसा।सूर्य बिना सब खत्म तमाशा।सूर्य रश्मि से सिंचित भू…
धरती माता राजेश तिवारी धरती मेरी माँ है इसको स्वस्थ और स्वच्छ बनायें ।आओ इसकी रक्षा और सुरक्षा का दायित्व उठायें ।।………………………………………………………. अवैध और अनैतिकता से इसका खनन जो करते ।सोचो इसको दिये घाव जो कहो वो कैसे भरते…