मिले कई अधिकार, जीवधारी को जग में| कुछ हैं ईश प्रदत्त, बने उपयोगी पग में | जीने का अधिकार, जगत में सबने पाया | भोजन पानी संग, भ्रमण का हक दिलवाया | अपने मन का नृप बने, जीव सभी इनसंसार में | अधिकारों का कर हनन, मस्त रहे व्यवहार में ||
अधिकारों कीइन 5 बात, समझता जो बोया है | हक का पाकर नूर, भला किसने खोया है | करते भाषण खूब, गिनाते अधिकारों को | भूले निज कर्तव्य, भूलते आधारों को | एक दूसरे से जुड़े, जाल बना संसार रुचि | पृथक नहीं कर्तव्य से, कोई भी अधिकार रुचि ||
तुमको है अधिकार, चलाये अपना सिक्का | पहन राज का ताज, चलाये अपना इक्टी का | नामंजूरी कौन, करे अब आगे तेरे | मिले तुझे वर्चस्व, मिला कानूनी घेरे | इस सत्ते ऊपर बना, सच्ची सत्ता ईश का | जो अंतिम सर्वोच्च है, न्याय तंत्र जगदीश का |
प्रत्येक मानव , चाहे वह किसी भी धर्म, लिंग, जाति स्तर या फिर किसी भी देश का हो वह जन्म से बराबर एवं स्वतंत्र है । एक मनुष्य का जीवन तभी सफल है, जब उसे गरिमामय लक्ष्य पूर्ण जीवन जीने का अवसर प्राप्त हो । मानवाधिकार मनुष्य की क्षमताओं को पूरी तरह खेलने का अवसर देते हैं ।लेकिन इंसान जैसे जैसे बड़ा होता है वह अहंकारी बनता जाता है । और एक ऐसे समाज की रचना करता है जिसमें वह लैंगिक, धार्मिक, रंगभेद आर्थिक और भी न जाने कितने भेदभाव के पैमाने गढ़ता चला जाता है ।
मानवाधिकार दिवस मानवता के खिलाफ क्रूरता की भर्त्सना करता है । इन सब भेदभाव के अंत के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ में सन 1948 में 10 दिसंबर को मानवाधिकार की सार्वभौमिक घोषणा को अपनाया ।
मानव अधिकार अधिनियम के तहत मानव के मूलभूत अधिकार, जैसे जीवन, स्वतंत्रता, समानता और गरिमा संविधान द्वारा निश्चिंत है । मानवाधिकार के उल्लंघन को रोकने के लिए भारत में सन 1933 में ‘राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ‘ का गठन किया गया, जो मूल अधिकार और जांच पड़ताल का कार्य करता है तथा उल्लंघन होने पर जुर्म के खिलाफ कार्रवाई करने की सिफारिश करता है ।
प्रतिवर्ष 10 दिसंबर को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग के सदस्य देशों में 6 सप्ताह के लिए बैठक करते हैं । बैठक में मानवाधिकार से जुड़े सारे मुद्दों पर चर्चा होती है और खासकर यातना पूर्ण तथा क्रूर व्यवहार पर खुलकर चर्चा होती है ताकि भविष्य में इसे रोकने की योजनाएं एवं कानून बनाए जा सके ।
इस दिन कार्यशाला गोष्ठियों और सभाएं आयोजित की जाती है ताकि मानवाधिकार उल्लंघन के क्षेत्रों का पता लगा सके ।मानवाधिकार दिवस मनाना समाज की रचना करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है ।आचार विचार एवं संस्कार ही मानव अधिकार है ।एक बात गौरतलब है कि मानव अधिकार पाने के लिए मानव को सुपात्र ही बनना पड़ेगा।