Tag: रंगीनता

  • इंद्रधनुष के रंग उड़े हैं/ बाबू लाल शर्मा *विज्ञ*

    इंद्रधनुष के रंग उड़े हैं/ बाबू लाल शर्मा *विज्ञ*

    इंद्रधनुष के रंग उड़े हैं/ बाबू लाल शर्मा *विज्ञ*

    इंद्रधनुष के रंग उड़े हैं/ बाबू लाल शर्मा *विज्ञ*


    इन्द्र धनुष के रंग उड़े हैं
    . देख धरा की तरुणाई।
    छीन लिए हाथों के कंगन
    . धूम्र रेख नभ में छाई।।

    सुंदर सूरत का अपराधी
    . मूरत सुंदर गढ़ता है
    कौंध दामिनी ताक ताक पथ
    . चन्दा नभ में चढ़ता है
    . नारी का शृंगार लुटेरा
    पाहन लगता सुखदाई।
    इन्द्रधनुष…………..।।

    यौवन किया तिरोहित नभ पर
    . भू को गौतम शाप मिले
    . बने छली शशि इंद्र विधाता
    भग्न हृदय को कौन सिले
    . छंद लिखे मन गीत चितेरे
    पाहन पवनी चतुराई।
    इन्द्र…………………।।

    रेत करे आराधन घन का
    . खजुराहो पथ मेघ चले
    . भूल चकोरी का प्रण चंदा
    . छिपे नयन की छाँव तले
    . पुरवाई की बाट निहारे
    . सागर चाहे ठकुराई।
    इन्द्र धनुष के रंग उड़े हैं
    देख ..धरा की तरुणाई।।


    बाबू लाल शर्मा *विज्ञ*
    बौहरा-भवन ३०३३२७
    सिकंदरा,दौसा, राजस्थान