उषाकाल पर कविता /नीलम
ज़मीं,आसमान,चाँद,नदियाँ,झीलें, पहाड़,सागर,बादल,अधखिली कलियाँ और सुबह की ताज़गी दुनियाँ के बेहतरीन अध्यापक हैं,ये हमें वो सिखाते हैं,जो कभी किताबों में नहीं लिखा जा सकता •••••
ज़मीं,आसमान,चाँद,नदियाँ,झीलें, पहाड़,सागर,बादल,अधखिली कलियाँ और सुबह की ताज़गी दुनियाँ के बेहतरीन अध्यापक हैं,ये हमें वो सिखाते हैं,जो कभी किताबों में नहीं लिखा जा सकता •••••
इंद्रधनुष के रंग उड़े हैं/ बाबू लाल शर्मा *विज्ञ* इन्द्र धनुष के रंग उड़े हैं. देख धरा की तरुणाई।छीन लिए हाथों के कंगन. धूम्र रेख नभ में छाई।। सुंदर सूरत का अपराधी. मूरत सुंदर गढ़ता हैकौंध दामिनी ताक ताक पथ. चन्दा नभ में चढ़ता है. नारी का शृंगार लुटेरापाहन लगता सुखदाई।इन्द्रधनुष…………..।। यौवन किया तिरोहित नभ … Read more