११ मात्रिक नवगीत – पीत वर्ण पात हो

११ मात्रिक नवगीत - पीत वर्ण पात हो घाव ढाल बन रहे. स्वप्न साज बह गये।. पीत वर्ण पात हो. चूमते विरह गये।।काल के कपाल पर. बैठ गीत रच रहा.…

Continue Reading११ मात्रिक नवगीत – पीत वर्ण पात हो