Posted inविविध छंदबद्ध काव्य ११ मात्रिक नवगीत – पीत वर्ण पात हो ११ मात्रिक नवगीत - पीत वर्ण पात हो घाव ढाल बन रहे. स्वप्न साज बह गये।. पीत वर्ण पात हो. चूमते विरह गये।।काल के कपाल पर. बैठ गीत रच रहा.… Posted by कविता बहार June 30, 2021