गरीबी पर कविता (17 अक्टूबर गरीबी उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस पर कविता )

गरीबी पर कविता गरीबी तू इतना रूलाया न कर हमेंजो मर गये तो, कहाँ पे तेरा आसरा है?मज़ाक उड़ाया सबके सामने कुछ यूँवाह भाई! अमीरों सा तेरा भी नखरा है? ?मनीभाई नवरत्न छत्तीसगढ़

गरीबी का दर्द-महेश गुप्ता जौनपुरी

गरीबी का दर्द क्या दर्द देखेगी दुनिया तेरीसुख गया है आंखों के पानीरिमझिम बारिश की फुहार मेंसमेट रखा है आंचल मेंगरीब तेरी कहानी कोउपहास बनायेगी ये दुनियातू कल भी फुटपाथ पर थाआज भी तेरी यही कहानी हैगरीब था तू गरीब रहेगावंचित तू अपने तकदीर से रहेगासुन गरीब लगा लें जोरअपना अस्तित्व बचा ले अबअब ना … Read more

हाय रे गरीबी

हाय रे गरीबी                (१)भूख में तरसता यह चोला,कैसे बीतेगी ये जीवन।पहनने के लिए नहीं है वस्त्र,कैसे चलेगी ये जीवन।              (२)किसने मुझे जन्म दिया,किसने मुझे पाला है।अनजान हूं इस दुनिया में,बहुतों ने ठुकराया है।            (३)मजबुर हूं भीख मांगना,छोटी सी  अभी बच्ची हूं।सच कहूं बाबू जी,खिली फूल की कच्ची हूं।          (४)छोटी सी बहना को,कहां कहां उसे … Read more

गरीबी का घाव

गरीबी का घाव आग की तपिस में छिलते पाँवभूख से सिकुड़ते पेटउजड़ती हुई बस्तियाँऔर पगडण्डियों परबिछी हैं लाशें ही लाशेंकहीं दावत कहीं जश्नकहीं छल झूठे प्रश्नतो कहीं …. आलीशान महलों की रेव पार्टियाँदो रोटी को तरसतेहजारों बच्चों परकर्ज की बोझ से दबेलाखों हलधरों परऔर मृत्यु से आँखमिचोली करतेश्रमजीवी करोड़ों मजदूरों परशायद! आज भी …. किसी … Read more