Tag: 21 नवंबर विश्व दूरदर्शन दिवस पर कविता

  • विश्व दूरदर्शन दिवस पर कविता

    विश्व दूरदर्शन दिवस पर कविता

    समाज का एक वर्ग
    इतराता नहीं ये कहने से,
    मूल्यों के विघटन में
    दूरदर्शन का हाथ है ।
    पर पवित्र ना हो
    दृष्टिकोण तो
    लगता है दिन भी
    घनघोर रात है ।।

    कहीं चूक है अपनी जो
    मित्र दूरदर्शन हो रहा दोषी ।
    वरना ताकाझांकी चलती सदा
    कि क्या कर रहा अपना पड़ोसी?

    ज्ञान है, विज्ञान है
    मनोरंजन की खान है दूरदर्शन ।
    निर्माण हुआ इसका ताकि
    यंत्र ना बने अपना जीवन ।
    इस बात से इनकार नहीं
    कि “अति” ने फैला दी सांस्कृतिक प्रदूषण ।
    प्रकृति से नाता तोड़ रहा
    धीरे धीरे अपना बचपन ।।

    मनीभाई नवरत्न