विश्व दूरदर्शन दिवस पर कविता

विश्व दूरदर्शन दिवस पर कविता

समाज का एक वर्ग
इतराता नहीं ये कहने से,
मूल्यों के विघटन में
दूरदर्शन का हाथ है ।
पर पवित्र ना हो
दृष्टिकोण तो
लगता है दिन भी
घनघोर रात है ।।

कहीं चूक है अपनी जो
मित्र दूरदर्शन हो रहा दोषी ।
वरना ताकाझांकी चलती सदा
कि क्या कर रहा अपना पड़ोसी?

ज्ञान है, विज्ञान है
मनोरंजन की खान है दूरदर्शन ।
निर्माण हुआ इसका ताकि
यंत्र ना बने अपना जीवन ।
इस बात से इनकार नहीं
कि “अति” ने फैला दी सांस्कृतिक प्रदूषण ।
प्रकृति से नाता तोड़ रहा
धीरे धीरे अपना बचपन ।।

मनीभाई नवरत्न

मनीभाई नवरत्न

यह काव्य रचना छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के बसना ब्लाक क्षेत्र के मनीभाई नवरत्न द्वारा रचित है। अभी आप कई ब्लॉग पर लेखन कर रहे हैं। आप कविता बहार के संस्थापक और संचालक भी है । अभी आप कविता बहार पब्लिकेशन में संपादन और पृष्ठीय साजसज्जा का दायित्व भी निभा रहे हैं । हाइकु मञ्जूषा, हाइकु की सुगंध ,छत्तीसगढ़ सम्पूर्ण दर्शन , चारू चिन्मय चोका आदि पुस्तकों में रचना प्रकाशित हो चुकी हैं।

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