मानवता के खातिर अब वृक्ष लगाऐंगे

मानवता के खातिर अब वृक्ष लगाऐंगे।  

poem on trees
poem on trees

कटेंगे वृक्ष , जंगल में तो,
कैसे होगा विश्व में मंगल,
बढ़ती जनसंख्या से हो रहा,
जब संसार में मानव – दंगल।
पर्यावरण समस्या को सुलझाऐंगे,
मानवता के खातिर अब वृक्ष लगाऐंगे।


मधुमक्खियों का शहद
और चिड़ियों की आवाज,
कंद – मूल फल में छिपा
है स्वस्थ सेहत का राज।
करते ये वायु को शुद्ध,
तो क्यों इस पर जुल्म ढाऐंगे,
मानवता के खातिर अब वृक्ष लगाऐंगे।  


करते मनुष्य हर जगह वृक्ष का उपयोग,
माना होता नहीं कहीं भी इसका दुरुपयोगl
बड़े नाव – मकान – बांध निर्माण से लेकर,
माचिस तिल्ली में भी होता इसका प्रयोग।
चिपको आंदोलन के जन्मदाता,
बहुगुणा को कैसे हम भुलाऐंगे,
मानवता के खातिर अब वृक्ष लगाऐंगे।  

अशुद्ध हवा को लेकर शुद्ध हवा देती है,
बरसात कराती, धुप में शीतल छाँव देती है।
ओजोन परत की समस्या करती है ये दूर,
फिर भी स्वार्थ में वृक्ष काटने को लोग हैं मजबूर।
वृक्ष लगाओ वृक्ष बचाओ अभियान ज्योत
चलो अब घर गांव शहर में जलाऐंगे,
मानवता के खातिर अब वृक्ष लगाऐंगे।  


अशुद्धता को लेती शुद्धता को करती ये दान।
करो रखवाली वृक्ष का तुम न लो इनकी जान।
पर्यावरण प्रदूषण हो गई अब तो जटिल
इस समस्या को हम जल्द ही सुलझाऐंगे,
मानवता के खातिर अब वृक्ष लगाऐंगे।  



अकिल खान रायगढ़

दिवस आधारित कविता