Tag: 16 सितंबर ओजोन परत संरक्षण दिवस पर हिंदी कविता

  • आक्सीजन के लिए जंग- शिवेन्द्र यादव

    आक्सीजन के लिए जंग- शिवेन्द्र यादव

    आक्सीजन के लिए जंग

    कोरोना महामारी के चलते देश में अधिकतर मौतें आक्सीजन ना मिलने के कारण हुई हैं।लेकिन मनुष्य जिस गति से अपने निजी स्वार्थ के लिए निरंतर वृक्षो का दोहन कर रहा है ऐसा ना हो कि आने वाले वर्षों में हर व्यक्ति को आक्सीजन के लिए जंग लड़नी पड़े।

    आक्सीजन के लिए जंग- शिवेन्द्र यादव

    वन नीति के अनुसार देश का 33.3 प्रतिशत भूभाग वन अच्छादित होना चाहिए। लेकिन दुर्भाग्य की देश के 19.5 प्रतिशत भाग पर ही वन है।यही नहीं वर्ल्ड एयर क्वालिटी रिपोर्ट 2020 के अनुसार दुनिया के 30 सर्वाधिक प्रदूषित शहरों मे 22 भारत में हैं। ये आकड़े भविष्य के भयावह स्थिति की ओर इशारा कर रहे हैं।

    अभी हाल ही के दिनों मे वायु प्रदूषण से पूरी दिल्ली मे धुंध जैसे हालात उत्पन्न हो गए थे और हवा की शुद्धता मे गिरावट देखने को मिली थी।ये परिवर्तन मनुष्य द्वारा प्रकृति के साथ खिलवाड़ का प्रत्यक्ष उद्धाहरण है तथा हमे सतर्क कर रहे हैं।

    अकेले भारत में हर साल 16 लाख से अधिक लोगों को वायु प्रदूषण के कारण अपनी जान गवानी पड़ती है। आज निरंतर वनों की कमी से जहाँ मानसून मे देरी हो रही है वही औसत से कम वर्षा से देश के विभिन्न हिस्सों को सूखे की मार झेलनी पड़ती है।जहाँ ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन एवम ओजोन परत में छिद्र के कारण अनेक वायुमंडलीय परिवर्तन देखने को मिल रहे है वही पृथ्वी के तापमान में निरंतर वृद्धि हो रही है फलस्वरूप ग्लेशियर पिघल रहे हैं । जिसके कारण समुद्र का जल स्तर बढ़ने से बाढ़ जैसी भयानक तबाही आ सकती।

    अतः पर्यावरण संरक्षण की दिशा में सरकार तथा हमारा कर्तव्य बनता है की अधिक से अधिक वृक्ष लगाकर आने वाली पीढ़ियों को स्वच्छ एवम स्वास्थ्य भविष्य दें।


    शिवेन्द्र यादव- उत्तर प्रदेश

  • मानवता के खातिर अब वृक्ष लगाऐंगे

    मानवता के खातिर अब वृक्ष लगाऐंगे।  

    poem on trees
    poem on trees

    कटेंगे वृक्ष , जंगल में तो,
    कैसे होगा विश्व में मंगल,
    बढ़ती जनसंख्या से हो रहा,
    जब संसार में मानव – दंगल।
    पर्यावरण समस्या को सुलझाऐंगे,
    मानवता के खातिर अब वृक्ष लगाऐंगे।


    मधुमक्खियों का शहद
    और चिड़ियों की आवाज,
    कंद – मूल फल में छिपा
    है स्वस्थ सेहत का राज।
    करते ये वायु को शुद्ध,
    तो क्यों इस पर जुल्म ढाऐंगे,
    मानवता के खातिर अब वृक्ष लगाऐंगे।  


    करते मनुष्य हर जगह वृक्ष का उपयोग,
    माना होता नहीं कहीं भी इसका दुरुपयोगl
    बड़े नाव – मकान – बांध निर्माण से लेकर,
    माचिस तिल्ली में भी होता इसका प्रयोग।
    चिपको आंदोलन के जन्मदाता,
    बहुगुणा को कैसे हम भुलाऐंगे,
    मानवता के खातिर अब वृक्ष लगाऐंगे।  

    अशुद्ध हवा को लेकर शुद्ध हवा देती है,
    बरसात कराती, धुप में शीतल छाँव देती है।
    ओजोन परत की समस्या करती है ये दूर,
    फिर भी स्वार्थ में वृक्ष काटने को लोग हैं मजबूर।
    वृक्ष लगाओ वृक्ष बचाओ अभियान ज्योत
    चलो अब घर गांव शहर में जलाऐंगे,
    मानवता के खातिर अब वृक्ष लगाऐंगे।  


    अशुद्धता को लेती शुद्धता को करती ये दान।
    करो रखवाली वृक्ष का तुम न लो इनकी जान।
    पर्यावरण प्रदूषण हो गई अब तो जटिल
    इस समस्या को हम जल्द ही सुलझाऐंगे,
    मानवता के खातिर अब वृक्ष लगाऐंगे।  



    अकिल खान रायगढ़

  • पर्यावरण संरक्षण पर कविता

    पर्यावरण संरक्षण पर कविता

    पर्यावरण संरक्षण पर कविता

    ओजोन परत

    दूषित हुई हवा
    वतन की
    कट गए पेड़
    सद्भाव के
    बह गई नैतिकता
    मृदा अपर्दन में
    हो गईं खोखली जड़ें
    इंसानियत की
    घट रही समानता
    ओजोन परत की तरह
    दिलों की सरिता
    हो गई दूषित
    मिल गया इसमें
    स्वार्थपरता का दूषित जल
    सांप्रदायिक दुर्गंध ने
    विषैली कर दी हवा
    आज पर्यावरण
    संरक्षण की
    सख्त जरूरत है

    -विनोद सिल्ला©

  • 16 सितंबर विश्व ओजोन दिन विशेष

    16 सितंबर विश्व ओजोन दिन विशेष

    ओजोन परत के संरक्षण के अंतर्राष्ट्रीय दिवस

    सूरज है आग का गोला ।
    जलता है ,बनकर शोला ।

    किरणों में है ,पराबैंगनी ।
    सबके लिए ,घातक बनी।

    धन्यभाग, हम मानव का।
    जो कवच है इस धरा का।

    ओज़ोनपरत वो कहलाए।
    घातक किरणें आ ना पाए।

    आज छेद होने का है डर ।
    भोग विलास का है असर ।

    एसी फ्रिज उर्वरक से रिसे।
    क्लोरोफ्लोरोकार्बन  गैसें ।

    यह नहीं, पानी में घुलती ।
    पर्त में सीधे हमला करती।

    जहर ओजोनछिद्र बनाता।
    पराबैंगनी सीधे धरा आता।

    फैले कैंसर ,चर्म-नेत्र रोग ।
    हाहाकार करते सब लोग ।

    नहीं खतरा एक ही देश को।
    चेतावनी है मानव लोक को।

    प्रदूषण कम करें,बचायें जान।
    मिलजुल कोशिश से आसान।

    संभलजा तू! अभी मुमकिन ।
    कहे16 सितंबर ओजोन दिन।

     मनीभाई ‘नवरत्न’, छत्तीसगढ़

  • पेड़ धरा का हरा सोना है

    पेड़ धरा का हरा सोना है

     ये कैसा कलयुग आया है
    अपने स्वार्थ के खातिर
    इंसान जो पेड़ काट रहा है
    अपने ही पैर में कुल्हाड़ी मार रहा है
    बढते ताप में स्वयं नादान जल रहा है
    बढ़ रही है गर्मी,कट रहे हैं पेड़
    या कट रहे हैं पेड़ बढ़ रही है गर्मी
    शहरीकरण, औद्योगीकरण,
    ग्लोबल वार्मिंग तेजी से बढ़ रहा है
    पारिस्थितिकी संतुलन बिगड़ रहा है
    ग्रीन हाउस गैस बढ़ रहा है
    धरती का सुरक्षा – कवच
    है जो ओजोन परत,नष्ट होने से बचाना है
    पेड़ के प्रति हमारी बड़ी है जिम्मेदारी
    पेड़ जीवन दायिनी है हमारी
    खूब पेड़ लगाना है
    आने वाली पीढ़ी को अपंग
    होने से बचाना है
    पेड़ है प्रकृति का अनमोल वरदान
    पेड़ ना हों तो अवश्य बढेगा तापमान
    बिन पेड़ के कोई प्राणी का अस्तित्व कहाँ
    पेड़ तो जीते दूसरों के लिए यहाँ
    पेड़ का महत्व समझें
    पेड़ हैं तो हम हैं
    पेड़ “धरा” का हरा सोना है
    इसे नहीं हमें खोना है।
    धनेश्वरी देवांगन धरा
    रायगढ़ (छत्तीसगढ़,)
    मो. नं. 8349430990

    कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद