मनखे के कोरा भक्ति पर व्यंग्य

मनखे के कोरा भक्ति पर व्यंग्य

हनुमान जंयती

मनखे के कोरा भक्ति पर व्यंग्य

  “धरव -पकड़व -कुदावव”
अउ सब्बो झन तोआवव।
चढ़गय बेंदरा रूख म त,
ढेला घलव बरसावव।
अइसने करम करत हावे,
आज के मनखे।
मनावत हे “हनुमान जयंती”
सीधवा अस बनके।


सबों जीव के रखबो जी
जूरमिल के मान
बेंदरा घलव ल तो
जानव हनुमान
बड़ सुघ्घर नता हावे,
बेंदरा अऊ इनसान के।
बड़ भारी सेना रहिन ,
श्रीराम भगवान के ।


हनुमान-राम के नता ल,
सब्बोझन जानथे।
बेंदरा तभ्भे मनखे ल,
अपन राम मानथे
फेर बेंदरा ल हनुमान
मनखे कहाँ मानथे
वाह – वाह रे मनखे
बेंदरा के चीरफाड़,
परयोग बर करथे
अउ कोनो दूसर नही
हमरे संही मनखे।
मनावत हे “हनुमान जयंती”
सीधवा अस बनके।

मनीभाई नवरत्न

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