Tag: 22 सितंबर राष्ट्रीय गुलाब दिवस पर हिंदी कविता

22 सितंबर राष्ट्रीय गुलाब दिवस
22 सितंबर को ‘वर्ल्ड रोज डे’ मनाया जाता है। इस दिन कैंसर पीड़ितों को गुलाब का फूल दिया जाता है, ताकि उनका मनोबल बढ़े और फिर से जीने की आशा मिले। हर साल फरवरी माह में वैलेंटाइन वीक होता है जिसमें रोज डे पड़ता है। लेकिन इसके अलावा 22 सितंबर को ‘वर्ल्ड रोज डे’ (World Rose Day) मनाया जाता है।

  • गुलाब पर कविता/ माला पहल

    गुलाब पर कविता/ माला पहल

    गुलाब पर कविता

    गुलाब पर कविता/ माला पहल
    gulab par kavita

    गुलाब- गुल की आभा

    मैं हूँ अलबेला गुलाब,
    नहीं झुकता आए सैलाब।
    आँधी या हो तूफान,
    या तपे सूरज घमासान।
    कांटो को लपेटे बनाए परिधान,
    यही तो है मेरी पहचान।
    मुझसे पूछो कैसे पाएँ पहचान,
    मुस्कुराकर ले सबसे अपना सम्मान।
    चुभ जाऊँ अगर मैं भूलकर,
    फिर भी चूमा जाऊँ झुककर।
    सजूँ सजाऊँ हर मौके पर,
    यही तो ईश कृपा है मुझपर।
    मुरझा कर सुगंध दे जाऊँ,
    हर पल परिसर को महकाऊँ।
    अपने नाम का अर्थ बताऊँ,
    गुल से फूल और आब से आभा बन जाऊँ।
    तभी तो हूँ मैं परिपूर्ण,
    मेरे अस्तित्व के बिना उपवन अपूर्ण।
    हाँ मैं ही तो हूँ अलबेला गुलाब,
    फूलों का सरताज जनाब!!

    माला पहल ‘मुंबई’

  • मैं गुलाब हूं – रामबृक्ष

    मैं गुलाब हूं – रामबृक्ष

    गुलाब

    मैं गुलाब हूं फूलों में,
    रहता कृष्ण के झूलों में,
    या वीर जवानों के पथ पर
    या सुंदर बालों के जूड़ो में|

    मेरा जन्म हुआ है कांटों में,
    जीवन के विघ्न सा बाटो में,
    वो चुभ जाए जो हिलूं जरा,
    हूं जिह्वा जैसा दांतों में |

    पंखुड़ियां रंग भरे कोमल,
    ले भरी जवानी गातो में,
    कोई विघ्न भला क्या कर सकता?
    जब खिलूं हरे भरे पातों में।

    मैं गुलाब ,कई रंगों में,
    मन मीत मनोहर अंगों में,
    मैं बिखेर खुशबू अपना,
    जीवन जीता सानन्दो में।

    फूलों में नाम मेरा पहला,
    मैं प्रेम निशानी अलबेला,
    वो प्यार में प्यारा बन जाता
    कांटों में जीवन जीने वाला।

    मेरा रूप गुलाबी गालों पर,
    निखरे जस झूमती डालो पर,
    तारीफ़ सदा होता मेरा,
    मद मस्त जवानी हालो पर।

    है प्रेम रंग से बड़ा कौन?
    खिलते चेहरे को पढ़ा कौन?
    मैं गुलाब तन मन का हूं,
    ख़ुश रहो सदा न रहो मौन|

    रचनाकार-रामबृक्ष, अम्बेडकरनगर
    ग्राम-बलुआबहादुरपुर पोस्ट-रुकुनुद्दीनपुर जनपद-अम्बेडकरनगर (उत्तर प्रदेश) पिनकोड- 224186

  • गुलाब पर कविता – रामबृक्ष

    गुलाब पर कविता – रामबृक्ष

    गुलाब
    gulab par kavita

    कांटों में पला बढ़ा जीवन
    संग पत्ते बीच हरे-भरे,
    कली से खिल कर फूल बना,
    एक चुभ जाता
    जो छूता मुझे,
    एक रंग भरा
    संग मेरे रंगों के,
    वे सरल कठोर भले दोनों,
    आज खुशबू तो मेरे बिखरे,|
    मैं हूं गुलाब,
    वीरों के पथ पर,
    किसानों के पग पर,
    वर-वधू के रथ पर
    शहीदों के मज़ार पर
    महा पुरुषों के गले में पड़ा,
    प्रेमी के मन में खिला,
    यह स्वभाव भले मेरा
    एहसान भला कैसे भूलूं,
    उनसे ही रूप मेरे निखरे ||
    मैं क्षुधा शांत कर न सकूं,
    मैं अलग-अलग को एक करु,
    संस्कृति-सभ्यता का प्रतीक,
    जगह जगह बदला स्वरूप,
    जैसे मेरे रंगों के रूप,
    पहचान बना उन कांटों से,
    कोई कुछ कहे,
    समझे,न समझे,
    अपनापन अपनों से
    तोड़ो न कभी रिस्ते गहरे ||

    रचनाकार-रामबृक्ष अम्बेडकरनगर
    ग्राम-बलुआ बहादुरपुर पोस्ट-रुकुनुद्दीनपुर जनपद-अम्बेडकरनगर (उत्तर प्रदेश)-224186