गीता ग्रंथ है पवित्र पावन- मनीभाई नवरत्न

गीता ग्रंथ में उल्लेखित महत्वपूर्ण बातों को आधार मानकर लिखी गई कविता

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गीता एक जीवन धर्म

गीता एक जीवन धर्म गीता महज ग्रंथ नहीं, है यह जीवन धर्म ।अमल कर उपदेश को,जान ले ज्ञान मर्म।गीता से मिलती , जीने का नजरिया।सुखमय बनाती जो अपनी दिनचर्या।ज्ञान झलके व्यवहार में।सहारा बने मझधार में ।कहती गीता, फल मिलेगी , कर लो निस्वार्थ कर्म।गीता महज ग्रंथ नहीं……. मनीभाई नवरत्न

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गीता सार पर कविता

गीता सार पर कविता नाहक तू शोक मनाय ,     डरता तू अकारन।आत्मा अजर अमर बंधु, कौन सकता मारन? जो होता अच्छा होता, मत कर तू संताप।खोखला कर दे मनुवा ,भूत का पश्चाताप।। क्या खो दिया जो लाया, किस बात की विलाप।यही लेकर दिया तुने,      कर भगवन का जाप ।। मुट्ठी बंद कर आया तू, जाना … Read more

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