गीता एक जीवन धर्म

गीता एक जीवन धर्म

गीता महज ग्रंथ नहीं, है यह जीवन धर्म ।
अमल कर उपदेश को,जान ले ज्ञान मर्म।
गीता से मिलती , जीने का नजरिया।
सुखमय बनाती जो अपनी दिनचर्या।
ज्ञान झलके व्यवहार में।
सहारा बने मझधार में ।
कहती गीता, फल मिलेगी , कर लो निस्वार्थ कर्म।
गीता महज ग्रंथ नहीं…….

मनीभाई नवरत्न

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