गीता ग्रंथ है पवित्र पावन- मनीभाई नवरत्न

गीता ग्रंथ है पवित्र पावन- मनीभाई नवरत्न

shri Krishna
Shri Krishna

गीता ग्रंथ है पवित्र पावन, गीता ज्ञान का सागर ।
श्रीकृष्ण ने सुनाई अर्जुन को,वह युग था द्वापर ।।
समय बदल गया पर, बदली ना गीता की महिमा ।
आज भी घटती जग में देखो,तोड़ काल की सीमा ।
कलयुग में घट जायेगी , धर्म, कर्म और मानवता ।
न्याय मिले उसी को ही , जिसके पास हो धनसत्ता।
डूबेगा सकल सृष्टि , चिंता के सागर में ।
व्याधि होगी विभिन्न,तन के इस गागर में ।
माता-पिता अनादर होंगे, पूजी जाएगी पत्थर।
तीस वर्ष ही जी सकेंगे, उम्र कम होगी घटकर ।
दूषित होगा जल, हर तरफ पड़ेगी सूखा।
भोगी होगा मानव, फिर भी रहेगा भूखा ।

(मनीभाई नवरत्न)

मनीभाई नवरत्न

यह काव्य रचना छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के बसना ब्लाक क्षेत्र के मनीभाई नवरत्न द्वारा रचित है। अभी आप कई ब्लॉग पर लेखन कर रहे हैं। आप कविता बहार के संस्थापक और संचालक भी है । अभी आप कविता बहार पब्लिकेशन में संपादन और पृष्ठीय साजसज्जा का दायित्व भी निभा रहे हैं । हाइकु मञ्जूषा, हाइकु की सुगंध ,छत्तीसगढ़ सम्पूर्ण दर्शन , चारू चिन्मय चोका आदि पुस्तकों में रचना प्रकाशित हो चुकी हैं।

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