Tag: #अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

यहाँ पर हिन्दी कवि/ कवयित्री आदर०अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम” के हिंदी कविताओं का संकलन किया गया है . आप कविता बहार शब्दों का श्रृंगार हिंदी कविताओं का संग्रह में लेखक के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा किये हैं .

  • ये पुस्तकों की दुनिया- कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

    पुस्तक

    ये पुस्तकों की दुनिया- कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

    ये पुस्तकों की दुनिया
    होती नहीं बेमानी
    देती हैं ज्ञान सबको
    दिखाती हैं राह सबको

    ये पुस्तकों की दुनिया

    ये पुस्तकें जहां हों
    फिर दोस्त न वहाँ हों
    सच्चा दोस्त बनने का
    सपना दिखाती पुस्तकें

    ये पुस्तकों की दुनिया

    इन पुस्तकों से नाता
    सदियों रहा सभी का
    ज्ञान को संजोती
    संवारती ये पुस्तकें

    ये पुस्तकों की दुनिया

    ये पुस्तकें जहां हो
    कहलाएं ज्ञान मंदिर
    पूजा करें सब इनकी
    कह गए बापू जी

    ये पुस्तकों की दुनिया

    पुस्तकों ने सभी को
    सभ्यता सिखाई
    इनके आचमन से
    चहुँ रौशनी है छाई

    ये पुस्तकों की दुनिया
    होती नहीं बेमानी
    देती हैं ज्ञान सबको
    दिखाती हैं राह सबको

  • बदरी – कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

    कविता संग्रह
    कविता संग्रह

    बदरी – कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

    प्रकृति ने ली अंगडाई है
    चहुँ ओर बदरी छाई है
    ग्रीष्म को बिदाई मिल रही
    चहुँ और बूँदें पड़ रही

    करो वर्षा का आगमन
    करो बूंदों से आचमन
    प्रकृति की छटा निराली हो रही
    चहुँ और बूँदें पड़ रही

    हम बादलों को चूम लें
    पंछी ये गीत गा रहे
    इस अवसर को हम न गवाएं
    बादलों का साथ निभाएं

    चहुँ और हरियाली खिलाएं
    आओ हम मिल पेड़ लगाएं
    कितना सुन्दर है ये आलम
    हो रही चहुँ और रिमझिम

    कोयल की कुक प्यारी
    खिल रही है क्यारी-क्यारी
    प्रकृति के हम ऋणी हैं
    जिसने चहुँ और शांति दी है

    बच्चों के भीगे तन-मन
    झूमें सबके तन-मन
    ये वर्षा का आगमन
    प्रक्रति को करो नमन

  • सत्य मार्ग तेरी डगर हो

    सत्य मार्ग तेरी डगर हो – कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

    kavita

    सत्य मार्ग तेरी डगर हो
    सत्य पथ तेरा बसर हो

    बंधन मुक्त जीवन तेरा हो
    मोक्ष तेरा हमसफ़र हो

    माया तेरा पीछा न पकड़े
    दुर्गुण कभी तुझको न जकड़े

    ज्ञान पथ तेरा हो साथी
    आदर्श हो जाए तेरा निवासी

    सत्मार्ग के तुम बनो प्रवासी
    कर्मभूमि तेरा बसर हो

    मंजिल पर हमेशा तेरी नज़र हो
    खिलते रहो जहां में फूल बनकर

    खुदा की तुम पर मेहर हो
    अनुपम धरा पर तेरी छवि हो

    अनुचर धरा पर तेरे बहुत हों
    अभिमानी न होना कभी तुम

    अंधविश्वास हो न राह तुम्हारी
    अंजुली भर श्रद्धा जगा जो लोगे तुम

    इस जग को स्वर्ग बना लोगे तुम
    अंकित करो कुछ तो इस धरा पर

    नाम तुम्हारा अमर हो जाएगा
    सत्य मार्ग तेरी डगर हो

    सत्य पथ तेरा बसर हो

    सत्य मार्ग तेरी डगर हो –

    अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

  • छू लेंगे हम आसमान- कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

    इंद्रधनुष

    छू लेंगे हम आसमान- कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

    छू लेंगे हम आसमान
    कौन कहता है
    हम बच्चे हैं
    हममें जोश नहीं है
    संकल्प की पूंजी
    हमारी धरोहर
    कर्त्तव्य की राह
    हमारी डगर
    वादियों में सत्य की
    विचरते हैं हम
    और
    कर्म की राह पर
    चलते हैं हम
    कौन कहता है
    छू सकते नहीं हम आसमान
    छू लेंगे हम आसमान
    कौन कहता है हम बच्चे हैं
    गुरु शिष्य परंपरा का
    करते हैं आचमन
    बुजुर्गों के आशीर्वचन तले
    पलता हमारा बचपन
    संवारते खिलते विचार हमारे
    पाते हम सुरक्षा
    होते संस्कारित
    कहलाते
    संस्कृति के रखवाले हम
    विद्यालयों के प्रांगण तले
    संवारता हमारा बचपन
    हर-छण हर -पल
    खिलता हमारा तन मन
    विचरों के युद्ध में
    बनते विजेता
    साथ ले
    पुस्तकों का
    अग्रसर होते
    उस मंजिल की और
    जो हमारा सपना होता
    हम हर पल
    ऋणी होते जाते
    उस शिक्षक के
    जो दीपक की तरह
    स्वयं को जला
    हमारे जीवन को
    रोशन करता
    इस संपूर्ण
    जीवन के साथ
    जी रहे हैं हम
    कौन कहता है
    छू नहीं सकते हम आसमान
    कौन कहता है
    हम बच्चे हैं

  • पाना है तुमको आसमान जमीं पर- कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

    badal, बादल
    बादल

    पाना है तुमको आसमान जमीं पर- कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

    पाना है तुमको आसमान जमीं पर
    सींचना है तुमको आदर्श जमीं पर

    खिलना है तुमको फूल बन बगिया के
    रहना है तुमको आदर्श बन जमीं पर

    जियो संकल्प के झंडे तले ,मरो तो वतन पर
    लाना है तुमको ,आसमां के तारे जमीं पर

    चमकना है तुमको ,बन तारे जमीं पर
    पाना है तुमको राह सत्य की

    जीना है तुमको कर्म प्रधान होकर
    किस्मत के धनी हो सकते हो तुम

    जीवन जीने के लिए ,हो सके तो जियो यहीं पर
    काफिलों को छोड़ पीछे ,सत्य पथ पर आगे बढ़ते

    निर्मित करना है तुमको भी, सत्य मार्ग इसी जमीं पर
    खोने की चिंता न करना, पाना है तुमको सब कुछ यहीं पर

    परवाह किसको है तूफां की, जीत ले दुनिया यहीं पर
    चमकेगा तू तारा ध्रुव बनकर भक्तिमार्ग का आचमन कर

    विश्व मंडल में खिलेगा पुष्प गंध तू लेकर
    करेगा मातृभूमि को सर्वस्व समर्पित पुण्य यादें बन जियेगा

    पाना है तुमको आसमान जमीं पर
    सींचना है तुमको आदर्श जमीं पर

    खिलना है तुमको फूल बन बगिया के
    रहना है तुमको आदर्श बन जमीं पर