Tag: #अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

यहाँ पर हिन्दी कवि/ कवयित्री आदर०अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम” के हिंदी कविताओं का संकलन किया गया है . आप कविता बहार शब्दों का श्रृंगार हिंदी कविताओं का संग्रह में लेखक के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा किये हैं .

  • मेरी कलम से पूछो – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

    मेरी कलम से पूछो

    मेरी कलम से पूछो

    कितने दर्द समाये हुए है

    मेरी कलम से पूछो

    आंसुओं में नहाये हुए है

    जब भी दर्द का समंदर देखती है

    रो पड़ती है

    सिसकती साँसों से होता है जब इसका परिचय

    सिसक उठती है

    ऋषिगंगा की बाढ़ की लहरों में तड़पती जिंदगियां देख

    रुदन से भर उठती है

    मेरी कलम से पूछो

    कितनी अकाल मृत्युओं का दर्द समाये हुए है

    वो कली से फूल में बदल भी न पाई थी

    रौंद दी गयी

    मेरी कलम से पूछो

    उसकी चीखों के समंदर में डूबी हुई है

    मेरी कलम से पूछो

    कितने दर्द समाये हुए है

    मेरी कलम से पूछो

    आंसुओं में नहाये हुए है

    जब भी दर्द का समंदर देखती है

    रो पड़ती है

    सिसकती साँसों से होता है जब इसका परिचय

    सिसक उठती है