Tag: बाबूराम सिंह की कविता हिंदी में

  • दशहरा पर कविता

    किसी भी राष्ट्र के सर्वतोमुखी विकास के लिए विद्या और शक्ति दोनों देवियों की आराधना और उपासना आवश्यक है। जिस प्रकार विद्या की देवी सरस्वती है, उसी प्रकार शक्ति की देवी दुर्गा है। विजया दशमी दुर्गा देवी की आराधना का पर्व है, जो शक्ति और साहस प्रदान करती है। यह पर्व आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाया जाता है। विजया दशमी का पर्व दस दिनों तक (प्रति पदा से दशमी तक) धूमधाम से मनाया जाता है। इसमें कई प्रकार की पूजा होती है। नवरात्र पूजा, दुर्गा पूजा, शस्त्र पूजा सभी शक्ति की प्रतीक दुर्गा माता की आराधना और उपासना है। अतीत में इस देवी ने दुष्ट दानवों का वध करके सामान्य जन और धरती को अधर्मियों से मुक्त किया था।

    दशहरा पर कविता

    durgamata

    राम रावणको मार,धर्मका किये प्रचार,
    बढ़ गया सत्य सार ,यही है दशहरा।

    देव फूल बरसायें ,जगत सारा हर्षाये,
    गगन-भू सुख पाये,यही है दशहरा।

    खुशहुये भक्तजन,कहेसभी धन्य-धन्य,
    होइ के महा मगन ,यहीं है दशहरा।

    सुनो मेरे प्यारे भाई ,बुराई पर अच्छाई,
    जाता जब जीत पाई ,यहीं है दशहरा।

    छल-कपट टारदो,जन-जनको प्यार दो,
    अवगुण सुधार लो , यहीं है दशहरा।

    सदा हरिगुण गाओ,सुख शुभ उपजओ,
    सबको गले लगाओ , यही है दशहरा।

    चलो सत्य राह पर,कर्म हो निगाह पर,
    दौड़ो नहीं चाह पर ,यहीं है दशहरा

    मनविषयों से मोड़,व्देष-दम्भ मोह छोड़,
    परहित में हो दौड़ , यहीं है दशहरा।

    अंदरसे शीघ्र जाग,प्रभु सुभक्ति में लाग,
    आपसी बढ़ाओ राग ,यहीं है दशहरा।

    सत्संगमें रहे चाव,रखो समता का भाव,
    छोड़ो सकल दुराव , यहीं है दशहरा।

    बाबूराम सिंह कवि
    बडका खुटहाँ, विजयीपुर
    गोपालगंज (बिहार)841508

  • शक्ति वंदना

    दुर्गा या आदिशक्ति हिन्दुओं की प्रमुख देवी मानी जाती हैं जिन्हें माता, देवीशक्ति, आध्या शक्ति, भगवती, माता रानी, जगत जननी जग्दम्बा, परमेश्वरी, परम सनातनी देवी आदि नामों से भी जाना जाता हैं। शाक्त सम्प्रदाय की वह मुख्य देवी हैं।

    durgamata

    शक्ति वंदना

    करूणाकर कौमारी माता कलिकाकारी तुम्हारी जय हो।
    खरलखड्ग खट हाथमें हरदम हेखलहारी तुम्हारी जय हो।
    गोमती गंगा गोदावरी गौरी गदाधारी तुम्हारी जय हो।
    घर-धर की माता घट-घट वासिनी घंटा घारी तुम्हारी जय हो।


    चंचल चतुर चण्डिका देवी चार्किणी चारी तुम्हारी जय हो।
    छुप छुप छाया देती क्षण क्षण क्षेमकरी हितकारी तुम्हारी जय हो।
    जय जानकी जनक नंदिनी जय सिय सुखकारी तुम्हारी जय हो।
    करूणा कर कौमारी माता कलिका कारी तुम्हारी जय हो।


    झनझन झनकार दो झट हे माँ सब झंझट झारी तुम्हारी जय हो।
    टेर-टूर टर टार दियों जग संकट टारी तुम्हारी जय हो।
    ठांव-ठांव सठ डरका मारी ठग नित ठारी तुम्हारी जय हो।
    डोली डगर-डगर डर हर के बुद्धि डर डारी तुम्हारी जय हो।


    ढोगी ढ़ाढस ढव ढूंढ थके हे बाघ सवारी तुम्हारी जय हो।
    करूणा कर कौमारी माता कलिका कारी तुम्हारी जय हो।
    तपस्या तीर तान-तान माँ दुष्टों को तारी तुम्हारी जय हो।
    थल जल थाह-थाह कर थईया थई-थई ब्रजनारीतुम्हारी जयहो।


    दुष्ट कंश दुख दिया देवकी को दुख दूर टारी तुम्हारी जय हो।
    धर्म धारिणी माँ धवलमनी करू कर धनु धारी तुम्हारी जय हो।
    नये-नये नित भेष निहारूत्रिनेत्रा प्यारी तुम्हारी जय हो।
    करूणा कर कौमरी माता कलिका कारी तुम्हारी जय हो।


    पापहर परमेश्वर पावन पर पीड़ा हारी तुम्हारी जय हो।
    फेरी फेर-फेर चौतरफा दुष्टों का फन फारी तुम्हारी जय हो।
    वंदन बारम्बार वर दायिनी ब्राही ब्रह्माणी तुम्हारी जय हो।
    भूल चूक हुक कर टुक-टुक भव भंजन भारी तुम्हारी जय हो।


    देहु भव्य भवानी भक्ति भाव बाबूराम भय हारी तुम्हारी जय हो।
    करूणा कर कौमारी माता कलिका कारी तुम्हारी जय हो।


    बाबूराम सिंह कवि
    बडका खुटहाँ, विजयीपुर
    गोपालगंज (बिहार)841508
    मो॰ नं॰ – 9572105032

  • आश्विन नवरात्रि पर विशेष गीत

    दुर्गा या आदिशक्ति हिन्दुओं की प्रमुख देवी मानी जाती हैं जिन्हें माता, देवीशक्ति, आध्या शक्ति, भगवती, माता रानी, जगत जननी जग्दम्बा, परमेश्वरी, परम सनातनी देवी आदि नामों से भी जाना जाता हैं। शाक्त सम्प्रदाय की वह मुख्य देवी हैं। दुर्गा को आदि शक्ति, परम भगवती परब्रह्म बताया गया है।

    durgamata

    आश्विन नवरात्रि पर विशेष गीत

    जय हो जय हो दुर्गे मैया महाशक्ति अवतारी।
    भक्ति भाव से पूजन करने आया शरण तुम्हारी।।

    करने से नित अर्चन वंदन जीवन धन हो जाता।
    पद सेवामें लगकर सभी मनोवांछित फल पाता।
    देव, दनुज,मानव सभी को माँ पूजन तेरा भाता।
    अग-जगमें सभी के माता तुम्हींहो भाग्यविधाता।

    सभयअभय पलमें करती तुम्ही हो करूणा कारी।
    भक्ति भाव से पूजन करने आया शरण तुम्हारी।।

    खप्पर त्रिशूल कटार करमें गले मध्य मुंड माला।
    रौद्र रूप विकराल तुम्हारा अद्भुत तेरी माया।
    रक्षक है भैरव भैया सदा बने तुम्हारी छाया।
    फट जाती दुश्मन की छाती देख तुम्हारी काया।

    टारो सभी अंधेर हे माँ करती बाघ सवारी।
    भक्ति भाव से पूजन करने आया शरण तुम्हारी।

    दुर्गति नाशिनी दुर्गामाता निज दयादृष्टि घुमाओ।
    वाणी बुद्धि विचार जगतमें सबका शुद्ध बनाओ।
    भटके जो हैं सत्य राह से उनको पथ पर लाओ।
    बढ़े परस्पर प्यार सभी में ऐसा ज्योति जलाओ।

    रहकर मानवता मध्य सब कोई बने अविकारी।
    भक्ति भाव से पूजन करने आया शरण तुम्हारी।

    विष्णु सदा शिव अज नारद जी तेरी महिमा गाते।
    आरत भाव शरण में आके देव भी सिर झुकाते।
    करती रक्षा जब जाकर माता फूले नहीं समाते।
    चढ़ विमान आकाश पथ से खुशी हो फूल वर्षाते।

    अमन चैन से सिंच रही हो त्रिलोक की फूलवारी।
    भक्ति भाव से पूजन करने आया शरण तुम्हारी।

    कालीदास दर्शन कर माता जीवन धन्य बनाये।
    आल्हा उदल नित पूजन करी शूर वीर कहलाये।
    तरे असंख्य जन दर्शन पा सम्भव कहाँ गिनाये।
    धन्य वहीं मानव है जग में जो तेरा गुण गाये।

    महिमा तेरी गजब निराली क्या जाने संसारी।
    भक्ति भाव से पूजन करने आया शरण तुम्हारी।


    बाबुराम सिंह कवि
    बडका खुटहाँ ,विजयीपुर
    गोपालगंज (बिहार)841508
    मो॰ नं॰ – 9572105032

  • राष्ट्र भाषा पर छंद- बाबूराम सिंह

    राष्ट्र भाषा पर छंद

    कविता संग्रह
    कविता संग्रह

    सुखद हिन्द महान बनाइए।
    मधुर बोल सदैव अपनाइए।
    प्रगति कारक भारत हो तभी।
    सरस काम करें अपना सभी।

    अजब ज्ञान भरें शुभदा लिए।
    सहज भावभरोस भव्य किए।
    गुण सभी इसमें जग आगरी।
    लखअमोलक है लिपि नागरी।

    महक मानवतामय है सिखो।
    मन लगाकर जागउठी लिखो।
    सँवर जाय तभी जग जानिये।
    बढ़ उठे शुचि भारत मानिये।

    जगत हिंद सु-बोल जगाइए।
    सरलता शुभ है अपनाइए।
    जगउठो सब भारत वासियों।
    निकल छोड़ सभी उदासियों।

    हक भव्य जब भारत पायेगा।
    जगत में सुख मोहक लायेगा।
    सकल विश्व गुरु जय भारती।
    सरस भाव सदा कर आरती।

    कविकला गुणभी सब बोलते।
    रस नवों कविता बिच घोलते।
    अभय ज्ञान अकूत सु-पाइये।
    झट सभी निजध्यान लगाइये।

    भरम भाव यहीं सब लायेगा।
    रम सभी इसमें शुचि पायेगा।
    चुकहुआ फिर तो सबजायेगा।
    सजग बिना फिर पछतायेगा।

    लगन से सब कोइ सँवारिये।
    भरम भेद सभी कु-सुधारिये।
    अलख भारत नेक जगाइये।
    हिन्द जुबान अमल में लाइये।

    ———————————————–
    बाबूराम सिंह कवि,गोपालगंज,बिहार
    मोबाइल नम्बर – 9472105032

    ————————————————

  • शिक्षा ज्ञान का दीपक है कविता -बाबूराम सिंह



    शिक्षा ज्ञान का दीपक है कविता

    सौभाग्यसे मिलाहै नरतन इसे सुफल बनाओ।
    शिक्षा ज्ञान का दीपकहै सरस सदा अपनाओ।।

    बिनविद्या नर पशु समहै कहती दुनियां सारी
    छाया रहता जीवन है में चहुँदिश अँधियारी।
    ज्ञान ध्यान भगवान बिना माया रहती है घेरे-
    सबकुछ होता ज्ञान बिना मति जाति है मारी।

    अतः ज्ञानालोक हेतु शिक्षा को सेतु बनाओ।
    शिक्षा ज्ञान का दीपक है सरस सदा अपनाओ।।

    शिक्षाका संसार अनूठा सुख-शान्ति जग देता।
    तम गम हम मानव जीवनसे सचमुच हरलेता।
    प्रगति पथ प्रशस्त कराके आगे सतत बढाता-
    विद्या ज्ञान वैभव से नर जीवन को भर देता।

    घर परिवार समाज देशको विद्यासे हीं सजाओ।
    शिक्षा ज्ञानका दीपक है सरस सदा अपनाओ।।

    शिक्षा हीं देनेवाला है सत्य शुचि का संगत।
    बेटियाँ भी पढ-लिख विद्या में बने पारंगत।
    समता एकता विश्वबंधुत्व कायम रहे हमेशा-
    तभी निखर पायेगा भारत वर्ष का रंगत।

    विश्वगुरु गरिमाआगेबढ़अक्षुण्ण सभी बनाओ।
    शिक्षा ज्ञान का दीपक है सरस सदा अपनाओ।।

    ——————————————————–
    बाबूराम सिंह कवि
    बडका खुटहाँ, विजयीपुर
    गोपालगंज (बिहार)841508
    मो॰ नं॰ – 9572105032
    ——————————————————–