मैं गुलाब हूँ

गुलाब

मैं गुलाब हूँ मैं गुलाब हूं खूबसूरती में बेमिसाल हूं थोड़ा नाजुक और कमजोर हूं छूते ही बिखर जाती हूं फैल जाती है मेरी पंखुड़ियां ऐसा लगता है पलाश हूं उन पंखुड़ियों को मैं समेटती हूं कांटों की चुभन की परवाह नहीं करती हूं बढ़ती जाती हूं जीवन में आगे टकराने को नदियों की धारा … Read more

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