वतन का नमक
वतन का नमकइस जहां से सुकून,हमने कभी पाया तो हैचमन का कोई गुल,हिस्से मेरे आया तो हैलफ़्ज मेरे लड़खड़ाये,सामने…
कविता
यहाँ पर हिन्दी कवि/ कवयित्री आदर०धर्मेन्द्र कुमार सैनी के हिंदी कविताओं का संकलन किया गया है . आप कविता बहार शब्दों का श्रृंगार हिंदी कविताओं का संग्रह में लेखक के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा किये हैं .