वतन का नमक
वतन का नमक इस जहां से सुकून,हमने कभी पाया तो हैचमन का कोई गुल,हिस्से मेरे आया तो है लफ़्ज मेरे लड़खड़ाये,सामने तूफां पाकरफिर भी तरन्नुम में , गीत कोई गाया तो हैतख़्त पर बैठे हमने,तपन के दिन बितायेजरा-सा प्रेम का,बादल कभी छाया तो है मंजिलों रोज ही बनते,गमों के आशियानेदरकते खण्डहरों को,हमनेभी ढाया तो हैइस … Read more