सखी के लिए कविता -डॉ0 दिलीप गुप्ता

सखी के लिए कविता - डॉ0 दिलीप गुप्ता रिमझिम बरसे.मन है हरसेप्रणय को ब्याकुल हिरदय होवे,सात समंदर पार है सजनीबिरह में बदरा-मेघा रोवे.....तप्त हृदय की अगन बुझाने-----आओ न सखी.. आओ…