सखी के लिए कविता -डॉ0 दिलीप गुप्ता

सखी के लिए कविता – डॉ0 दिलीप गुप्ता रिमझिम बरसे.मन है हरसेप्रणय को ब्याकुल हिरदय होवे,सात समंदर पार है सजनीबिरह में बदरा-मेघा रोवे…..तप्त हृदय की अगन बुझाने—–आओ न सखी.. आओ न सखी।।–।।00नीला अम्बर,हरी-भरी धरतीनाचत मोर रिझावत सजनी,उपवन डार-पात लदे फूलनमहकी रातरानी यहां रजनी,सुने आंगन को महकाने—-आओ न सखी…आओ न सखी।।–।।00धरती भीगी मन मोरा लथपथप्रेम का … Read more