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यहाँ पर हिन्दी कवि/ कवयित्री आदर ० एकता गुप्ता के हिंदी कविताओं का संकलन किया गया है . आप कविता बहार शब्दों का श्रृंगार हिंदी कविताओं का संग्रह में लेखक के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा किये हैं .

  • आतंकवाद विरोधी दिवस पर कविता – एकता गुप्ता

    21 मई, 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या कर दी गई थी। उनकी हत्या के बाद ही 21 मई को आतंकवाद विरोधी दिवस के तौर पर मनाने का फैसला किया गया। इस दिन हर सरकारी कार्यालयों, सरकारी उपक्रमों और अन्य सरकारी संस्थानों में आतंकवाद विरोधी शपथ दिलाई जाती है।

    कविता संग्रह
    कविता संग्रह

    आतंकवाद विरोधी दिवस पर कविता -मत फैलाओ आतंकवाद

    हर देश का खतरा है आतंकवाद
    बनकर जिहादी विद्रोही
    फैला रहे हैं अतिवाद ।
    अपना कर हिंसा का पाठ
    कर रहे अंधाधुंध अपराध ।
    मासूमों को कर रहे अनाथ
    करते रहते हिंसा
    डर से गुजरती रात।।


    हिंसा की धमकी देकर
    फैलाते धर्मनिरपेक्ष का जातिवाद
    हर देश का खतरा आतंकवाद
    कभी मजहब पर लड़ते
    कहीं पर भी हिंसा करते
    दिन-रात निर्मम हत्याएं करते
    कुकृत्यों में हाथ भी न कांपतें
    कहीं दुहाई राष्ट्रवाद की
    कहीं फैलाते अलगाववाद
    हर देश का खतरा है आतंकवाद ।।


    अपराधी कट्टरपंथी छोड़ो
    आतंकवाद से मुंह मोड़ो
    मत करो अब और अनैतिक कृत्य
    अपराध छोड़ मानवता से नाता जोड़ो
    मिल कर दें आतंकवाद को जवाब
    हर देश का खतरा है आतंकवाद ।।


    आतंकवाद विरोधी दिवस है आज
    आतंक छोड़ मानवता के करे काज
    देश की सुरक्षा को बढ़ायें हाथ
    एकता चाहती आप सबका साथ
    आतंक को मिटाकर
    करे स्थापित “सौहार्द राज “
    मिट जाए हर कोने से आतंकवाद ।

    एकता गुप्ता ‘ काव्या ‘
    उन्नाव उत्तर प्रदेश

  • मत करो प्रकृति से खिलवाड़-एकता गुप्ता

    मत करो प्रकृति से खिलवाड़-एकता गुप्ता

    विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस पर कविता

    मत करो प्रकृति से खिलवाड़

    मत करो प्रकृति से खिलवाड़-एकता गुप्ता
    हसदेव जंगल

    बदल गया है परिवेश हमारा ।
    दूषित हो रहा है अपना वातावरण ।

    काट काट कर हरे पेड़ों को।
    क्यूं छीन रहे हरियाली का आवरण?

    अनगिनत इमारतें दिन पर दिन बन रही।
    फैक्ट्रियों के काले धुएं का लग रहा ग्रहण।

    चारों ओर फैल रहा है प्रदूषण।
    दूषित हो रहा है अपना वातावरण।

    खतरे में पड़ गया सब का जीवन।
    हो गया अनगिनत सांसो का हरण।

    मत करो प्रकृति से खिलवाड़।
    बिगड़ रहा पर्यावरण संतुलन।

    क्षीण हो गई यदि प्रकृति।
    कैसे हो पाएगा सबका भरण पोषण।

    अभी भी कुछ नहीं है बिगड़ा।
    चलो मिलकर करते हैं वृक्षों का फिर से रोपण।

    स्वच्छ करें मिलकर वातावरण।
    धरती को पहनायें हम फिर से हरा-भरा आवरण।

    ऑक्सीजन और शुद्ध वायु की भी कमी होगी पूरी।
    वसुंधरा का हो जाएगा फिर से हरियाली से अलंकरण।

    हो जायेगा स्वर्णिम जीवन सबका।
    हरियाली से परिपूर्ण हो जाये पर्यावरण
    फिर से स्वच्छ हो जाएगा अपना वातावरण।

    एकता गुप्ता

  • जीवन में संगीत ही आधार है

    जीवन में संगीत ही आधार है

    कविता संग्रह
    कविता संग्रह

    संगीत से ही जुडा़ जीवन,
    जीवन में संगीत ही आधार है ।
    मां की लोरी में पाया संगीत की झंकार है।
    पापा के गीतों में पाया खुशियां अपार है ।


    बारिश की कल कल बूंदो में
    आती संगीत की बयार है ।
    कलियों की खिलने में
    भंवरे करते संगीतमय मनुहार है ।


    कोयल का मीठा संगीत लाता
    जीवन में खुशियों की झंकार है ।
    बारिश में मयूर का नर्तन
    देता खुशियां अपार है ।


    जब होता मिलन धरती और आकाश का ,
    मेंढक लगाता टर्र – टर्र की गुहार है।
    पूजा, प्रार्थना या इबादत
    ईश्वर को संगीतमय स्वीकार है ।


    संगीतमय हो यह अपना जीवन
    जीवन में रहे नित खुशियां हजार है

    एकता गुप्ता “काव्या”
    उन्नाव उत्तर प्रदेश

  • मौका मिला है परिवार के साथ जुड़ने का – एकता गुप्ता

    संयुक्त राष्ट्र अमेरिका ने 1994 को अंतर्राष्ट्रीय परिवार वर्ष घोषित किया था। समूचे संसार में लोगों के बीच परिवार की अहमियत बताने के लिए हर साल 15 मई को अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस मनाया जाने लगा है। 1995 से यह सिलसिला जारी है। परिवार की महत्ता समझाने के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

    मौका मिला है परिवार के साथ जुड़ने का - एकता गुप्ता

    मौका मिला है परिवार के साथ को जुड़ने का


    बस बंद करो बहुत हुई, आपसी कलह
    क्या मिलेगा तुम्हें परिवार तोड़ने का।


    आज है विश्व परिवार दिवस,
    मौका मिला है परिवार के साथ जुड़ने का।


    संयुक्त परिवार तो बचे नहीं,
    एकल परिवारों में भी घुलता जहर,
    पराए आकर लड़वा जाते अपनों को,
    बरसाकर बेइज़्जती, बेईमानी का कहर।
    दिन पर दिन रिश्तों में क्यूं आ रही दूरियां,
    कौन बनेगा माध्यम ? परिवार को जोड़ने का,


    आज है विश्व परिवार दिवस,
    मौका मिला है परिवार के साथ जुड़ने का।


    कभी नौकरी की चाह,कहीं है आजादी की चाह,
    नैतिकता ,संस्कार को भूलकर,क्यूं अपनाने लगे बेईमानी की राह,


    बुजुर्गों के संस्कारों को दरकिनार कर दिया,
    क्या यही कर्ज उतारा है तुमने उनके पालने का,
    समाज में घटती नैतिकता के दुष्परिणाम,
    सभी के परिवार बिखर रहे चाहे खास हो या आम,
    क्या फायदा तुम्हारे ऐसे बाहरी दान पुण्य का,
    जब परिवार के लोग भी खाने को तरस रहे,
    बाहर के लिए खजाने खोलने का।


    आज है विश्व परिवार दिवस,
    मौका मिला है परिवार के साथ जुड़ने का।


    लौटा दो बच्चों को भी दादी बाबा का प्यार,
    बच्चे भी बड़ों के सानिध्य में रहकर सीखे संस्कार,
    अपने बुजुर्ग माता-पिता भाई-बहन के संग रहकर व्यक्त करें अपना आभार,

    विश्व परिवार दिवस मना कर फिर जोड़े अपना बिखरा परिवार,
    पड़ी है जो परिवारों में गांठ,
    गांठो को खोलकर पढ़ाओ बच्चों को नैतिकता का पाठ,
    आओ मनाएं विश्व परिवार दिवस की वर्षगांठ,
    एकता की कोशिश इतनी सी सभी परिवार रहे प्यार से साथ।।


    आज है विश्व परिवार दिवस,
    मौका मिला है परिवार के साथ जुड़ने का।


    एकता गुप्ता ‘काव्या’