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लालसा पर कविता

लालसा पर कविता लालसा न चाह का है ,जीवन में कुछ पाने कोलालसा न बड़ा बनू, न बहुत कुछ कर जाने कोछीन कर खुशियां किसी की, रोटियां दो वक्त कीमैं चलूं तारों को लाने,छोड़ इन्हें मर जाने को धिक्कार है…

प्रतीक्षा पर कविता

प्रतीक्षा पर कविता आयु ही जैसे प्रतीक्षा-श्रृंखला है,हर प्रतीक्षा पूर्ण कब होती भला है! रवि प्रतीक्षित धर्मरत हैं पूर्व-पश्चिम,सूर्य मिलकर पूर्व से पश्चिम चला है। धैर्य से जिस बीज ने की है प्रतीक्षा,वृक्ष सुंदर हो वही फूला-फला है। झूठ है…