गौतम बुद्ध एक श्रमण थे जिनकी शिक्षाओं पर बौद्ध धर्म का प्रचलन हुआ। इनका जन्म लुंबिनी में हुआ था। 29 वर्ष की आयुु में सिद्धार्थ विवाहोपरांत एक मात्र प्रथम नवजात शिशु राहुल और धर्मपत्नी यशोधरा को त्यागकर संसार को जरा, मरण, दुखों से मुक्ति दिलाने के मार्ग एवं सत्य दिव्य ज्ञान की खोज में रात्रि में राजपाठ का मोह त्यागकर वन की ओर चले गए। वर्षों की कठोर साधना के पश्चात बोध गया (बिहार) में बोधि वृक्ष के नीचे उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई और वे सिद्धार्थ गौतम से भगवान बुद्ध बन गये.
गौतम बुद्ध पर रचना ( विश्व करुणा दिवस विशेष)
शुद्धोधन अनमोल धन,यशोधरा के प्राण।
धर्म, कर्म, उपदेशना,जीव मात्र कल्याण।।
नश्वरता संसार की,क्षण भंगुर सुख भोग।
गहन हुई अनुभूति ये,दुख के मौलिक रोग।।
जप तप व्रत भी कर लिया,हुआ नहीं मन शांत।
जाना,सम्यक् धारणा,रहित करें ये भ्रांत।।
सहज भाव में लीन थे,साखी बस,नहिं शोध।
प्रज्ञा की आँखें खुलीं,हुआ सत्य का बोध।।
सत्य-बोध के साथ ही,करुणा बही अपार।
निकल पड़े वे विश्व को,देने निर्मल प्यार।।
उनके पथ,पाखंड ने,रचे बहुत षडयंत्र।
किन्तु सभी निष्फल हुए,सूरज हुआ स्वतंत्र।।
आजीवन करते रहे, महाभाग परमार्थ।
सिद्ध,तथागत ने किया,जीवन का सिद्धार्थ।।
जब कलिंग को काटकर,हारा नृपति अशोक।
प्रायश्चित था,बुद्ध के,चरणों का आलोक।।
आज अस्त्र की होड़ है,विस्फोटित है युद्ध।
अहंकार में सिरफिरे, नहीं बुलाते बुद्ध।।
समाधान या शांति का,हल है केवल प्रेम।
धर्मयुद्ध तब ही कहो,हो मानव का क्षेम।।
रेखराम साहू