Tag: गौतम बुद्ध पर कविता

गौतम बुद्ध (जन्म 563 ईसा पूर्व – निर्वाण 483 ईसा पूर्व) एक श्रमण थे जिनकी शिक्षाओं पर बौद्ध धर्म का प्रचलन हुआ।[2]

इनका जन्म लुंबिनी में 563 ईसा पूर्व इक्ष्वाकु वंशीय क्षत्रिय शाक्य कुल के राजा शुद्धोधन के घर में हुआ था। उनकी माँ का नाम महामाया था जो कोलीय वंश से थीं, जिनका इनके जन्म के सात दिन बाद निधन हुआ, उनका पालन महारानी की छोटी सगी बहन महाप्रजापती गौतमी ने किया। 29 वर्ष की आयुु में सिद्धार्थ विवाहोपरांत एक मात्र प्रथम नवजात शिशु राहुल और धर्मपत्नी यशोधरा को त्यागकर संसार को जरा, मरण, दुखों से मुक्ति दिलाने के मार्ग एवं सत्य दिव्य ज्ञान की खोज में रात्रि में राजपाठ का मोह त्यागकर वन की ओर चले गए। वर्षों की कठोर साधना के पश्चात बोध गया (बिहार) में बोधि वृक्ष के नीचे उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई और वे सिद्धार्थ गौतम से भगवान बुद्ध बन गए।

  • गौतम बुद्ध पर रचना ( विश्व करुणा दिवस विशेष)

    गौतम बुद्ध एक श्रमण थे जिनकी शिक्षाओं पर बौद्ध धर्म का प्रचलन हुआ। इनका जन्म लुंबिनी में हुआ था। 29 वर्ष की आयुु में सिद्धार्थ विवाहोपरांत एक मात्र प्रथम नवजात शिशु राहुल और धर्मपत्नी यशोधरा को त्यागकर संसार को जरा, मरण, दुखों से मुक्ति दिलाने के मार्ग एवं सत्य दिव्य ज्ञान की खोज में रात्रि में राजपाठ का मोह त्यागकर वन की ओर चले गए। वर्षों की कठोर साधना के पश्चात बोध गया (बिहार) में बोधि वृक्ष के नीचे उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई और वे सिद्धार्थ गौतम से भगवान बुद्ध बन गये.

    गौतम बौद्ध
    गौतम बौद्ध

    गौतम बुद्ध पर रचना ( विश्व करुणा दिवस विशेष)


    शुद्धोधन अनमोल धन,यशोधरा के प्राण।
    धर्म, कर्म, उपदेशना,जीव मात्र कल्याण।।


    नश्वरता संसार की,क्षण भंगुर सुख भोग।
    गहन हुई अनुभूति ये,दुख के मौलिक रोग।।


    जप तप व्रत भी कर लिया,हुआ नहीं मन शांत।
    जाना,सम्यक् धारणा,रहित करें ये भ्रांत।।


    सहज भाव में लीन थे,साखी बस,नहिं शोध।
    प्रज्ञा की आँखें खुलीं,हुआ सत्य का बोध।।


    सत्य-बोध के साथ ही,करुणा बही अपार।
    निकल पड़े वे विश्व को,देने निर्मल प्यार।।


    उनके पथ,पाखंड ने,रचे बहुत षडयंत्र।
    किन्तु सभी निष्फल हुए,सूरज हुआ स्वतंत्र।।


    आजीवन करते रहे, महाभाग परमार्थ।
    सिद्ध,तथागत ने किया,जीवन का सिद्धार्थ।।


    जब कलिंग को काटकर,हारा नृपति अशोक।
    प्रायश्चित था,बुद्ध के,चरणों का आलोक।।


    आज अस्त्र की होड़ है,विस्फोटित है युद्ध।
    अहंकार में सिरफिरे, नहीं बुलाते बुद्ध।।


    समाधान या शांति का,हल है केवल प्रेम।
    धर्मयुद्ध तब ही कहो,हो मानव का क्षेम।।

    रेखराम साहू

  • बुद्ध जयंती पर कविता

    बुद्ध पूर्णिमा बौद्ध धर्म में आस्था रखने वालों का एक प्रमुख त्यौहार है। यह बैसाख माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है जिसे बुद्ध पूर्णिमा कहते हैं। इसी दिन गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था, इसी दिन उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई थी और इसी दिन उनका महानिर्वाण भी हुआ था।

    बुद्ध जयंती पर कविता

    गौतम बौद्ध
    गौतम बौद्ध

    सिद्धार्थ!
    ऐसा क्यों ?
    फिर चले गये,
    सत्य, दिव्य-ज्ञान की खोज,
    अपलक राह देखती,
    नि:शब्द खड़ी,
    यशोधरा!

    दुःख,
    दूर कैसे,
    स्वार्थ, संलिप्त माया,
    माटी… माटी, यही ‘जाया’,
    मनुजता रोती पड़ी,
    दीवार बनी,
    ईर्ष्या ।

    आओगे,
    ‘बुद्ध’ बनकर,
    लेकर ‘शांति’ अमृतधारा,
    सींचन हो मरूभूमि पर,
    सृजित पल्लव नवल,
    प्रेम, समर्पण,
    मनुजधर्म।
    शैलेन्द्र कुमार नायक ‘शिशिर’