सुख दुःख आधारित कविता
सुख-दुख की बाते बेमानी
सुख-दुख की बाते बेमानी सुख-दुख( १६,१६)मैने तो हर पीड़ा झेली।सुख-दुख की बाते बेमानी। दुख ही मेरा सच्चा साथी,श्वाँस श्वाँस मे रहे सँगाती।मै तो केवल दुख ही जानूँ,प्रीत रीत मैने कब जानी,सुख-दुख की बाते बेमानी। सुख तो केवल छलना है,मुझे निरंतर पथ चलना है।बाधाओं से कब रुक पाया,जब जब मैने मन में ठानी,सुख-दुख की बातें बेमानी। … Read more
सुख-दुख की बातें बेमानी
सुख-दुख की बातें बेमानी ( १६ मात्रिक ) मैने तो हर पीड़ा झेली,सुख-दुख की बातें बेमानी। दुख ही मेरा सच्चा साथी,श्वाँस श्वाँस मे रहे संगाती।मै तो केवल दुख ही जानूं,प्रीत रीत मैने कब जानी,सुख-दुख की बातें बेमानी। साथी सुख केवल छलना है,मुझे निरंतर पथ चलना है।बाधाओं से कब रुक पाया,जब जब मैने मन में ठानी,सुख-दुख … Read more