जीवन की नैया धीरे-धीरे खेना

जीवन की नैया धीरे-धीरे खेना (छंद मुक्त रचना)“ओ खेवइया।जीवन की नैया,है बहुत ख़ूबसूरत,कमसिन है,भरी हुई है नज़ाकत से।देख,लहरें आ रहीं है दौड़कर,डुबोने को तत्पर।सम्हाल पतवार,ख़ीज लहरों की,तूफ़ान साथ ला सकती हैं।जीवन की नैया को,धीरे-धीरे खेना।रुकना नहीं ।पलटना नहीं।जो छुट गया ,जो मिल न सका,ग़म उसका नहीं करना।खेता जा।जो मिल जाए ,साथ ले आगे ही आगे … Read more

जिन्दगी पर कविता

जिन्दगी पर कविता जिन्दगी तो प्रेम की एक गाथा है,जिन्दगी भावुक प्रणय की छाँव है,जिन्दगी है वेदना की वीथिका सीजिन्दगी तो कल्पना की छुवन भर है। जिन्दगी है चन्द सपनों की कहानी,जिन्दगी विश्वास के प्रति सावधानी,जिन्दगी इतिहास है निर्मम् समय का जिन्दगी तो आँसुओं की राजधानी। जिन्दगी तो लहलहाती फसल सी हैजिन्दगी कल्पनाओं के सुनहरे … Read more

जीवन उथल पुथल कर देगा

जीवन उथल पुथल कर देगा पल भर का सम्पूर्ण समागम ,जीवन उथल पुथल कर देगा।तुम चाहे जितना समझाओ,पर यह भाव विकल कर देगा। 1.आँखो  में  आँखो  की भाषा ,लिखना पढ़ना रोज जरा सा।सपनों  का   सतरंगी    होना,देख चाँद सुध बुध का खोना।थी अब तक जो बंद  पंखुडी,उसको फूल कवल कर देगा।तुम चाहे जितना समझाओ,पर यह भाव … Read more

जीवन भर का संचित धन हिंदी कविता

जीवन भर का संचित धन हिंदी कविता सांध्य परिदर्शन गृह का पृष्ठ भाग उपवन है,तरु, लता, वनस्पति सघन है,मेरी यह दिनचर्या में शामिल,जीवन भर का संचित धन है! प्रातः पांच बजे उठकर जब,इधर उधर नज़रें दौड़ाता,मेरा गांव , वहां का जीवन,सहसा याद मुझे अा जाता! मेरे पिता माता को उर में,सजा रखा है, ज्योति जगा … Read more