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यहाँ पर हिन्दी कवि/ कवयित्री आदर०नरेन्द्र कुमार कुलमित्रके हिंदी कविताओं का संकलन किया गया है . आप कविता बहार शब्दों का श्रृंगार हिंदी कविताओं का संग्रह में लेखक के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा किये हैं .

लौट आओ बसंत

लौट आओ बसंत न खिले फूल न मंडराई तितलियाँन बौराए आम न मंडराए भौंरेन दिखे सरसों पर पीले फूलआख़िर बसंत आया कब..? पूछने पर कहते हैं–आकर चला गया बसंत !मेरे मन में रह जाते हैं कुछ सवालकब आया और कब…

तोड़े हुए रंग-बिरंगे फूल :नरेन्द्र कुमार कुलमित्र

तोड़े हुए रंग-बिरंगे फूल टीप-टीप बरसता पानीछतरी ओढ़ेसुबह-सुबह चहलकदमी करतेघर से दूर सड़कों तक जा निकलादेखा–सड़क के किनारेलगे हैं फूलदार पौधे कईपौधों पर निकली हैं कलियाँ कईमग़र कहीं भीदूर-दूर तक पौधों परखिले हुए फूल एक भी नहींसहसा नजरें गईनहाए न…

अरे लकीर के फकीरों

अरे लकीर के फकीरों अपने-अपने मुहावरों परवे और तुमजिते आ रहे हो सदियों सेमुहावरा कभी बदला ही नहींन उनका न तुम्हारा शासक हैं वेबागडोर है उनके हाथों मेंवे अपने मुहावरों पररहते हैं सदा कायम तुम्हारे लिएवे जो भी कहते हैंकभी…

हिन्दी कविता: वक्ता पर कविता– नरेन्द्र कुमार कुलमित्र

वक्ता पर कविता- नरेन्द्र कुमार कुलमित्र हे मेरे प्यारे वक्तावाक कला में प्रवीणबड़बोला महाराजबातूनी सरदारकृपा करके हमें भी बताओकि तुम इतना धारा प्रवाहकैसे बोल लेते हो..?बिना देखे,बिना रुकेघंटों बोलने की कलाआख़िर तुमने कैसे सीखी है..?दर्शकों कोगुदगुदाने वाली कविताएँजोश भरने वाली…

हिन्दी कविता: रायपुर सेंट्रल जेल में-नरेन्द्र कुमार कुलमित्र

रायपुर सेंट्रल जेल में-नरेन्द्र कुमार कुलमित्र रायपुर में पढ़ता था मैंपंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालयथा दर्शनशास्त्र का विद्यार्थीजन्मभूमि सा प्यारा था आज़ाद छात्रावास गाँव वालों की नज़रों मेंथा बड़ा पढन्तामेरे बारे में कहते थे वे–“रइपुर में पढ़ता है पटाइल का नाती।”…

हिन्दी कविता : जार्ज फ्लॉयड पर कविता- नरेन्द्र कुमार कुलमित्र

जार्ज फ्लॉयड पर कविता- जार्ज फ्लॉयड तुम आदमी थेतुम आदमी ही रहेपर तुम्हें पता नहींकि शैतानी नज़रों मेंआदमी होना कुबूल नहीं होताआख़िर तुम मारे गए काश तुम जान गए होतेकि तुम्हारा जिंदा रहने के लिएतुम्हारा आदमी होना ज़रूरी नहीं थाजितना…

गुरु पच्चीसी

भारत के गुरुकुल, परम्परा के प्रति समर्पित रहे हैं। वशिष्ठ, संदीपनि, धौम्य आदि के गुरुकुलों से राम, कृष्ण, सुदामा जैसे शिष्य देश को मिले। डॉ. राधाकृष्णन जैसे दार्शनिक शिक्षक ने गुरु की गरिमा को तब शीर्षस्थ स्थान सौंपा जब वे…

सरकारी रिपोर्ट पर कविता

सरकारी रिपोर्ट पर कविता सरकारी रिपोर्ट में कभीमजदूर नहीं होतेमज़दूरों की पीड़ा नहीं होतीमज़दूरों के बिलखते बच्चे नहीं होतेनहीं होता उनके अपनी धरती से पलायन होने का दर्दनहीं होती उनकी भूख और प्यास की कथाबूढ़े माँ-बाप से अलगाव की मज़बूरीऔर…

विकास यात्रा पर कविता-नरेन्द्र कुमार कुलमित्र

विकास यात्रा निकला था वहविकास यात्रा में कमायाअपार धन अर्जित कियाअपार यश अब उसेभूख नहीं लगतीनींद नहीं आती अब केवलअपनी तृष्णा के सहारेजीवित हैविकास यात्री। — नरेन्द्र कुमार कुलमित्र9755852479 Post Views: 54

रोटी पर कविता-नरेन्द्र कुमार कुलमित्र

रोटी पर कविता पता नहींइसे रोटी कहूँया भूख या मौतआईना या चाँदमज़बूरी या ज़रूरी कभी मैं रोटी के लिएरोती हूँकभी रोटीमेरे लिए रोती है कभी मैंभूख कोमिटाती हूँकभी भूखमुझे मिटाती है रोटी से सस्तीहोती है मौतवह मिल जाती हैआसानी सेपर…