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यहाँ पर हिन्दी कवि/ कवयित्री आदर०नरेन्द्र कुमार कुलमित्रके हिंदी कविताओं का संकलन किया गया है . आप कविता बहार शब्दों का श्रृंगार हिंदी कविताओं का संग्रह में लेखक के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा किये हैं .

  • हिन्दी कविता : जार्ज फ्लॉयड पर कविता- नरेन्द्र कुमार कुलमित्र

    जार्ज फ्लॉयड पर कविता-

    जार्ज फ्लॉयड तुम आदमी थे
    तुम आदमी ही रहे
    पर तुम्हें पता नहीं
    कि शैतानी नज़रों में
    आदमी होना कुबूल नहीं होता
    आख़िर तुम मारे गए

    काश तुम जान गए होते
    कि तुम्हारा जिंदा रहने के लिए
    तुम्हारा आदमी होना ज़रूरी नहीं था
    जितना जरूरी था
    तुम्हारी चमड़ी का गोरा रंग

    जार्ज फ्लॉयड
    काश की तुम्हें
    गिरगिट की तरह
    अपनी चमड़ी का रंग बदलना आता
    तो तुम आज जिंदा होते

    मार्टिन लूथर की हत्या से
    तुमने क्यों नहीं सीखा..?
    तुम्हारे हत्यारे
    दिल से काले हैं तो क्या ?
    दिखने में तो
    बड़े ही खूबसूरत
    और आकर्षक लगते हैं
    तुमने अपना दिल तो उजला रखा
    पर तुम्हारी काली चमड़ी का क्या ?

    उन्हें सदियों से
    काँटों की तरह चुभते रहे हैं
    तुम्हारी चमड़ी का काला रंग

    उन्हें तुम्हारा आदमी होना
    कतई मंजूर नहीं
    वे चाहते हैं
    तुम बेजुबान जानवर की तरह
    उनके अत्याचारों को सहते रहो

    वे चाहते हैं
    तुम्हारी नस्लें दास बनी रहे
    बिना कुछ कहे उनकी सेवा करते रहे

    उन्हें यह पसंद नहीं
    कि तुम मानवीय अधिकारों के लिए
    उनसे लड़ो और शोर मचाओ
    एकजुट होकर विरोध प्रदर्शन करो

    उन्हें पसंद नहीं
    कि तुम आगे बढ़ने के लिए
    कोई सपना देखो

    उन्हें पसंद नहीं
    कि तुम कंधे से कंधा मिलाकर
    उनके साथ-साथ बराबर चलो

    उन्हें यह तो कतई पसंद नहीं
    फूटे आँख पसंद नहीं
    कि तुम उनके रहते हुए
    सत्ता पर काबिज़ हो जाओ
    और उन पर शासन करने लगो

    नरेन्द्र कुमार कुलमित्र
    9755852479

  • गुरु पच्चीसी

    भारत के गुरुकुल, परम्परा के प्रति समर्पित रहे हैं। वशिष्ठ, संदीपनि, धौम्य आदि के गुरुकुलों से राम, कृष्ण, सुदामा जैसे शिष्य देश को मिले।

    डॉ. राधाकृष्णन जैसे दार्शनिक शिक्षक ने गुरु की गरिमा को तब शीर्षस्थ स्थान सौंपा जब वे भारत जैसे महान् राष्ट्र के राष्ट्रपति बने। उनका जन्म दिवस ही शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।

    गुरु पच्चीसी

    गुरु पच्चीसी
    गुरु पूनम

    1..💫💫
    शिक्षक का आदर करो, गुरुजन पूजित होय।
    प्रथमा गुरु माता कहें, पितु भी गुरुपद जोय।।
    2..💫💫
    जो हमको शिक्षा दिये, शिक्षक गुरु सम मान।
    उनको है सादर नमन, तज माया आभिमान।
    3..💫💫
    शिक्षा सत अभ्यास है, जीवन भर कर हेत।
    जिनसे सीखें गुरु वही, परिजन प्रिये समेत।।
    4..💫💫
    गुरु ब्रह्मादि महेश से, गुरु विष्णो सम पूज।
    साँचे गुरु बिरले मिले, जैसे चंदा दूज ।।
    5..💫💫
    गुरु जीवन संसार है, जीवन का सत सार।
    मातु पिता गुरु तीसरे, इन पर गुरुतम भार।।
    6..💫💫
    राधाकृष्णन जयन्ती, शिक्षक दिव उपलक्ष्य।
    धन्य भाग ऐसे पुरुष, कभी धरा पर दृश्य।।
    7..💫💫
    उप पद पहले राष्ट्रपति, बने हमारे देश।
    महामहिम दूजे हुए , शिक्षा के परिवेश।।
    8..💫💫
    शिक्षक निर्माता कहे, देश व शिष्य सुजान।
    इनके ही सम्मान सें ,मिले हमें अरमान।।
    9..💫💫
    रीढ समाजी हैं यही, शिक्षक,और किसान।
    जय जवान के साथ ही, बोलो जय विज्ञान।।
    10..💫💫
    निर्माता गुरु देश के, राजा रंक जहान।
    चेले भी शक्कर हुए, गुरु भी हुए महान।।
    11..💫💫
    रामलखन के गुरु बने, मुनिवशिष्ठ महाभाग।
    रघुकुल के कुलगुरु रहे,पूजित अबतक राग।।
    12..💫💫
    विश्वामित्र महान मुनि, वन ले गये लिवाय।
    रामलखन मख रक्षते, जनकपुरी ले जाय।।
    13..💫💫
    ज्ञान पुंज वाल्मीकि थे, विद्या के आगार।
    सीत शरण,लवकुश पठन,रामायण रचिहार।।
    14..💫💫
    कृष्ण सुदामा अरु सखा,विद्या पढ़ते संग।
    गुरु संदीपन आश्रमे, गुरु जग नाथ प्रसंग।।
    15..💫💫
    कौरव पाण्डव थे हुए, जग में नामी वीर।
    द्रोणाचारी गुरु बड़े ,अनुपम विद्या धीर।।
    16..💫💫
    घटन हुई इकलव्य की, गुरु जनि द्रोणाचार्य।
    दिए अंगुठा दक्षिणा, नाम अमिट कुल आर्य।।
    17..💫💫
    मध्यकाल में गुरु प्रथा, साँच निभाये पंत।
    नानक,कबिरा धीर जन, तुलसी दादू संत।।
    18..💫💫
    राम दास गुरु की व्यथा, हरे शिवाजी वीर।
    दूध शेरनी का दिए, खूब दिखाये धीर।।
    19..💫💫
    मिली कृपा शिवराज को, जीजाबाई मात।
    क्षत्र पते राजा बने, देश धर्म हित ज्ञात।।
    20..💫💫
    मीरा अर रैदास भी, सतजन गुरु पद पाय।
    पीपा नीमा रामदे , लोक देव कहलाय।।
    21..💫💫
    राम कृष्ण तो हंस थे,सत गुरु मेटे द्वंद।
    बालक नाथ नरेन्द्र को, किया विवेकानंद।।
    22..💫💫
    दयानंद स्वामी रहे, गुरु जन संत महान।
    आर्य समाजी पंथ है,अब भी चले जहान।।
    23..💫💫
    राजनीति में भी हुये , गुरु पद पर आसीन।
    चाणक्,तिलक,व गोखले,गाँधी नाम प्रवीन।।
    24..💫💫
    सबमिल गुरु को मान दें,अंतर्मन सनमान।
    बिन गुरु के नुगरा बनें, सतगुरु ही भगवान।।
    25..💫💫
    प्रभु से पहले गुरु नमः, हरि की रीति प्रतीत।
    शर्मा बाबू लाल कह, गुरु को नमन पुनीत।।

    🌹💫🌹💫🌹💫
    ✍©
    बाबू लाल शर्मा “बौहरा” विज्ञ
    सिकंदरा, दौसा,(राज.)
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  • सरकारी रिपोर्ट पर कविता

    सरकारी रिपोर्ट पर कविता

    सरकारी रिपोर्ट में कभी
    मजदूर नहीं होते
    मज़दूरों की पीड़ा नहीं होती
    मज़दूरों के बिलखते बच्चे नहीं होते
    नहीं होता उनके अपनी धरती से पलायन होने का दर्द
    नहीं होती उनकी भूख और प्यास की कथा
    बूढ़े माँ-बाप से अलगाव की मज़बूरी
    और शासन-प्रशासन की नाकामी की बात
    सरकारी रिपोर्ट में कतई नहीं होती

    सरकारी रिपोर्ट में होती है
    खोखली राहत पैकेजों की लंबी सूची
    बेअसर सरकारी योजनाओं का गुणगान
    सब्ज़बाग दिखाते सरकारी पहलों की तारीफ़ें
    प्रशासनिक अमलों की, की गई जीतोड़ कोशिशें
    सरकार की शाबाशी
    और पहली से आख़िरी पृष्ठ तक
    ‘मजदूर कल्याण’ की दिशा में
    गढ़ी गई सफलता की ऐसी कहानी
    जो वास्तविकता से परे शुद्ध काल्पनिक होती है।

    — नरेन्द्र कुमार कुलमित्र
    9755852479

  • विकास यात्रा पर कविता-नरेन्द्र कुमार कुलमित्र

    विकास यात्रा

    निकला था वह
    विकास यात्रा में

    कमाया
    अपार धन

    अर्जित किया
    अपार यश

    अब उसे
    भूख नहीं लगती
    नींद नहीं आती

    अब केवल
    अपनी तृष्णा के सहारे
    जीवित है
    विकास यात्री।

    — नरेन्द्र कुमार कुलमित्र
    9755852479

  • रोटी पर कविता-नरेन्द्र कुमार कुलमित्र

    रोटी पर कविता

    पता नहीं
    इसे रोटी कहूँ
    या भूख या मौत
    आईना या चाँद
    मज़बूरी या ज़रूरी

    कभी मैं रोटी के लिए
    रोती हूँ
    कभी रोटी
    मेरे लिए रोती है

    कभी मैं
    भूख को
    मिटाती हूँ
    कभी भूख
    मुझे मिटाती है

    रोटी से सस्ती
    होती है मौत
    वह मिल जाती है
    आसानी से
    पर रोटी नहीं मिलती

    रोटी आईना है
    जिसमें दिखते हैं हम
    पर रोटी में
    हम नहीं होते
    हमारा आभास होता है

    खूबसूरत चाँद-सी
    लगती है रोटी
    पर होती है दूर
    सिर्फ़ देख सकते हैं उसे
    छू भी नहीं सकते

    क्या करें साहब !
    ज़िंदा तो रहना है
    इसीलिए
    रोटी मज़बूरी है
    और ज़रूरी भी।

    — नरेन्द्र कुमार कुलमित्र
    9755852479