हिन्दी कविता : जार्ज फ्लॉयड पर कविता- नरेन्द्र कुमार कुलमित्र

जार्ज फ्लॉयड पर कविता- जार्ज फ्लॉयड तुम आदमी थेतुम आदमी ही रहेपर तुम्हें पता नहींकि शैतानी नज़रों मेंआदमी होना कुबूल नहीं होताआख़िर तुम मारे गए काश तुम जान गए होतेकि तुम्हारा जिंदा रहने के लिएतुम्हारा आदमी होना ज़रूरी नहीं थाजितना जरूरी थातुम्हारी चमड़ी का गोरा रंग जार्ज फ्लॉयडकाश की तुम्हेंगिरगिट की तरहअपनी चमड़ी का रंग … Read more

गुरु पच्चीसी

भारत के गुरुकुल, परम्परा के प्रति समर्पित रहे हैं। वशिष्ठ, संदीपनि, धौम्य आदि के गुरुकुलों से राम, कृष्ण, सुदामा जैसे शिष्य देश को मिले। डॉ. राधाकृष्णन जैसे दार्शनिक शिक्षक ने गुरु की गरिमा को तब शीर्षस्थ स्थान सौंपा जब वे भारत जैसे महान् राष्ट्र के राष्ट्रपति बने। उनका जन्म दिवस ही शिक्षक दिवस के रूप … Read more

सरकारी रिपोर्ट पर कविता

सरकारी रिपोर्ट पर कविता सरकारी रिपोर्ट में कभीमजदूर नहीं होतेमज़दूरों की पीड़ा नहीं होतीमज़दूरों के बिलखते बच्चे नहीं होतेनहीं होता उनके अपनी धरती से पलायन होने का दर्दनहीं होती उनकी भूख और प्यास की कथाबूढ़े माँ-बाप से अलगाव की मज़बूरीऔर शासन-प्रशासन की नाकामी की बातसरकारी रिपोर्ट में कतई नहीं होती सरकारी रिपोर्ट में होती हैखोखली … Read more

विकास यात्रा पर कविता-नरेन्द्र कुमार कुलमित्र

विकास यात्रा निकला था वहविकास यात्रा में कमायाअपार धन अर्जित कियाअपार यश अब उसेभूख नहीं लगतीनींद नहीं आती अब केवलअपनी तृष्णा के सहारेजीवित हैविकास यात्री। — नरेन्द्र कुमार कुलमित्र9755852479

रोटी पर कविता-नरेन्द्र कुमार कुलमित्र

रोटी पर कविता पता नहींइसे रोटी कहूँया भूख या मौतआईना या चाँदमज़बूरी या ज़रूरी कभी मैं रोटी के लिएरोती हूँकभी रोटीमेरे लिए रोती है कभी मैंभूख कोमिटाती हूँकभी भूखमुझे मिटाती है रोटी से सस्तीहोती है मौतवह मिल जाती हैआसानी सेपर रोटी नहीं मिलती रोटी आईना हैजिसमें दिखते हैं हमपर रोटी मेंहम नहीं होतेहमारा आभास होता … Read more