कुम्हार को समर्पित कविता -निहाल सिंह

कुम्हार को समर्पित कविता -निहाल सिंह फूस की झोपड़ी तले बैठकर।चाक को घुमाता है वो दिनभर।खुदरे हुए हाथों से गुंदकेमाटी के वो बनाता है मटकेतड़के कलेवा करने के बादलगा रहता…

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