इन गुलमोहरों को देखकर
कविता/निमाई प्रधान’क्षितिज’ इन गुलमोहरों को देखकर दिल के तहखाने में बंद कुछ ख़्वाहिशें…आज क्यों अचानक बुदबुदा रही हैं?महानदी की… इन लहरों को देखकर!! कि ननिहाल याद आता है..इन गुलमोहरों को देखकर!! शाही अपना भी रूतबा थामामाजी के गाँव में!!बचपन में हम भी..हुआ करते थे राजकुमार..सुबहो-शाम घूमा करते थेनाना की पीठ पर होके सवार..हमारे हर तोतले … Read more