इन गुलमोहरों को देखकर

कविता/निमाई प्रधान’क्षितिज’ इन गुलमोहरों को देखकर दिल के तहखाने में बंद कुछ ख़्वाहिशें…आज क्यों अचानक बुदबुदा रही हैं?महानदी की… इन लहरों को देखकर!! कि ननिहाल याद आता है..इन गुलमोहरों को देखकर!! शाही अपना भी रूतबा थामामाजी के गाँव में!!बचपन में हम भी..हुआ करते थे राजकुमार..सुबहो-शाम घूमा करते थेनाना की पीठ पर होके सवार..हमारे हर तोतले … Read more

छूकर मुझे बसंत कर दो

छूकर मुझे बसंत कर दो – निमाई प्रधान तुम बिन महज़ एक शून्य-सा मैंजीकर मुझे अनंत कर दो ….। पतझर-पतझर जीवन हैछूकर मुझे बसंत कर दो ।। इन्द्रधनुष एक खिल रहा है, मेरे हृदय के कोने में…..बस जरुरत एक ‘हाँ’ की …शून्य से अनंत होने में ।छू लो ज़रा लबों को मेरे..शंकाओं का अंत कर … Read more

निमाई प्रधान’क्षितिज’ के हाइकु

हाइकु

निमाई प्रधान’क्षितिज’ के हाइकु *[1]* *हे रघुवीर!**मन में रावण है* *करो संहार ।* *[2]**सदियाँ बीतीं* *वहीं की वहीं टिकीं* *विद्रूपताएँ ।* *[3]**जाति-जंजाल**पैठा अंदर तक**करो विमर्श ।* *[4]**दुःखी किसान* *सूखे खेत हैं सारे* *चिंता-वितान* *[5]**कृषक रुष्ट* *बचा आख़िरी रास्ता* *क्रांति का रुख़* *[6]**प्रकृति-मित्र!**सब भूले तुमको**बड़ा विचित्र!!* *[7]* *अथक श्रम* *जाड़ा-घाम-बारिश* *नहीं विश्राम* *[8]**बंजर भूमि**फसल कहाँ से … Read more

स्वतंत्रता दिवस पर कविता

स्वतंत्रता दिवस पर कविता

कविता के माध्यम से हमारे प्यारे देश वासियों को 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस के बारे में बताया गया है।

एकांत/हाइकु/निमाई प्रधान’क्षितिज’

हाइकु

एकांत/हाइकु/निमाई प्रधान’क्षितिज’ [१]मेरा एकांत सहचर-सर्जक उर्वर प्रांत! [२]दूर दिनांततरु-तल-पसरा मृदु एकांत! [३]वो एकांतघ्न वातायन-भ्रमर न रहे शांत ! [४]दिव्य-उजासशतदल कमल एकांतवास ! [५]एकांत सखाजागृत कुंडलिनी प्रसृत विभा ! *-@निमाई प्रधान’क्षितिज’*      रायगढ़,छत्तीसगढ़   मो.नं.7804048925