महामानव यीशु/ डॉ विजय कुमार कन्नौजे

jesus

महामानव यीशु/ डॉ विजय कुमार कन्नौजे जब जब धरा पर होती है अत्याचार।तब तब प्रभु लेते हैं धरा पर अवतार।। मानवता जब होने लगी धरा पर।जब धरती होने लगी थी , शर्म सार मानव मानवता भुलकर,करने लगे अत्याचार ।गरीब अमीर में भेदकर,दीनन पर किया प्रहार।। पच्चीस दिसंबर कोमहामानवयीशु मसीह लिया अवतार।।दीन हीन को साध ले, … Read more

ईश्वर पर कविता

ईश्वर (विधाता छंद ) पहाड़ों को, घटाओं को, हवाओं को बनाया है गगन के थाल को जिसने सितारों से सजाया है धरा की गोद में कानन सघन उपवन बसाया है मेरे ईश्वर की महिमा है! मेरे ईश्वर की माया है 2 जहाँ सूरज को शिशु हनुमान ने मुंह मे दबाया है दिवाकर ने जहाँ करके … Read more

तारों सितारों में तुझे ढूंढता हूँ

इस रचना में कवि उस प्रभु को जीवन की विभिन्न कठिन परिस्थितियों में ढूँढने का प्रयास कर रहा है | उस प्रभु को खोज रहा है |

तू मेरा मालिक

इस रचना में प्रभु की महिमा का वर्णन है | जिसके सहारे हमारे जीवन को दिशा मिलती है |

हिंदी संग्रह कविता-फिर से नवजीवन का विहान

फिर से नवजीवन का विहान जग-जीवन में जो चिर-महान्,सौन्दर्य-पूर्ण औ’ सत्य-प्राण मैं उसका प्रेमी बनूँ, नाथ,जो हो मानव के हित समान। जिससे जीवन में मिले शक्ति,छूटे भय, संशय, अंधभक्ति, मैं वह प्रकाश बन सकूँ, नाथ,मिल जाएँ जिसमें अखिल व्यक्ति। पाकर प्रभु, तुमसे अमर दान,करने मानव का परित्राण, ला सकूँ विश्व में एक बार,फिर से नवजीवन … Read more