क्रान्ति की राह पर -प्रकाश गुप्ता हमसफ़र

*'' क्रान्ति की राह पर ''**- - - - - - - - - - - - - -*हमारे ज़िस्म कोबोटी-बोटी काट करहमारी ज़िन्दा रूह कीचीखों को निकालकरहमारे ख़ौलते खून…

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