*प्रातः कालीन कविता
भोर पर कविता -रेखराम साहू
भोर पर कविता –रेखराम साहू सत्य का दर्शन हुआ तो भोर है ,प्रेम अनुगत मन हुआ तो भोर है। सुप्त है संवेदना तो है निशा ,जागरण पावन हुआ तो भोर है। द्वेष की दावाग्नि धधकी हो वहाँ,स्नेह का सावन हुआ तो भोर है। त्याग जड़ता,देश-कालोचित जहाँ,कर्म-तीर्थाटन हुआ तो भोर है। क्षुद्र सीमा तोड़,धरती घर हुई … Read more
भोर का तारा एक आशावादी कविता
भोर का तारा पद्ममुख पंडा के द्वारा रचित आशावादी कविता है जिसमें उन्होंने प्रकृति का बेहद सुंदर ढंग से वर्णन किया है। साथ में यह भी बताया है कि किस तरह से रात्रि के बाद दिवस हो रहा है अभिप्राय दुख के बाद सुख का आगमन हो रहा है। भोर का तारा. एक आशावादी कविता … Read more
प्रात: वन्दन – हरीश बिष्ट
जन-जन की रक्षा है करती |भक्तजनों के दुख भी हरती ||ऊँचे पर्वत माँ का डेरा |माँ करती है वहीं बसेरा || भक्त पुकारे दौड़ी आती |दुष्टजनों को धूल चटाती ||भक्तों की करती रखवाली |जगजननी माँ खप्परवाली || भक्त सभी जयकार लगाते |चरणों में नित शीश नवाते ||मनोकामना पूरी करती |खुशियों से माँ झोली भरती || … Read more
प्रात: वन्दन – हरीश बिष्ठ शतदल
प्रात: वन्दन करे अमंगल को मंगल, पवनपुत्र हनुमान |सम्मुख उनके आने से , डरें सभी शैतान || हृदय बसे सिया-राम जी, श्रद्धा-भक्ति अपार |शिवजी के बजरंगबली , जग में रूद्र अवतार || संकट सारे भक्तों के , पल में देते टार |भजे सिया अरु राम संग़, यह सारा संसार || भक्तों में सर्वश्रेष्ठ हैं , … Read more
प्रातः वंदना संग्रह
हरिश बिष्ट का प्रातः वंदना हे बजरंगी तेरे द्वारे |हाथ जोड़ सब भक्त पुकारे ||दुष्टों को तुम मार भगाते |भक्त जनों को पार लगाते || सेवा-भाव से सदा समर्पित |प्रभु चरणों में जीवन अर्पित ||भक्ति आपसे सीखे कोई |आप जगाऍं किस्मत सोई || चौपाई छंद मातु-भवानी जय जगदम्बे |विनती सुन लो हे माँ अम्बे ||सुनती … Read more