कहाँ गई कागज की कश्ती – प्यारेलाल साहू

कहाँ गई कागज की कश्ती – प्यारेलाल साहू कहाँ गई कागज की कश्ती।कहाँ गई बचपन की मस्ती।। बचपन कितना था मस्ताना।कभी रूठना और मनाना।। साथ साथ खेला करते थे।आपस में फिर हम लड़ते थे।। साथ साथ पढ़ने जाते थे।बाँट बाँट कर हम खाते थे।। छुट्टी के दिन मौज मनाते।अमराई से आम चुराते।। कभी पकड़ में … Read more

आम फल पर बाल कवितायेँ

यहाँ पर आम फल पर 3 कवितायेँ प्रस्तुत हैं जो कि बाल कवितायेँ हैं नाम मेरा आम नाम मेरा आम है,हूं फिर भी खास।खाते मुझको जो,पा जाते है रास। रूप मेरे है अनेक,सबके मन भाता।देख देख मुझे सब,परमानंद को पाता। घर घर मेरी शाख,बनता हूं आचार।लू में सिरका बनूँ,दे शीतल बयार। खट्टे मीठे स्वाद है,मुह … Read more

प्रजा ही है असली राजा – प्यारेलाल साहू

प्रजा ही है असली राजा – प्यारेलाल साहू प्रजा बजा सकती है बड़े बड़ों का बाजा।प्रजा ही है इस देश का प्यारे असली राजा।। मंत्री समझ बैठे हैं खुद को भारत भाग्य विधाता।पता चलता है औकात तब, जब चुनाव है आता।। हाथ जोड़ते नाक रगड़ते कहते माई बाप।माफ कर कर दो अनजाने में हो गये … Read more

चित्र आधारित कविता: गाँव या ग्रामीण परिवेश पर कविता

village based Poem

चित्र आधारित कविता : गाँव या ग्रामीण परिवेश पर कविता , संपादक – आदरणीया कवयित्री रीता प्रधान जी , रायगढ़ , छत्तीसगढ़ गाँव या ग्रामीण परिवेश पर कविता मन चल उस गाँव में – प्रियदर्शनी आचार्य रवि रश्मियों का बाजिरथ, जहाँ उतरता गाँव मेंदूर क्षितिज के पार, प्रकृति की छाँव में ।मन चल उस गाँव … Read more