अजादी के अमरीत उत्सव- तोषण चुरेन्द्र दिनकर
अजादी के अमरीत उत्सव- तोषण चुरेन्द्र दिनकर अजादी के अमरीत उत्सव भारत देश मनात हेसाल पचहत्तर पूरा होगे झंडा तिरंग लहरात हे लाल बाल अउ पाल भगत सिंहबनके तँयहा ललकार…
यहाँ पर हिन्दी कवि/ कवयित्री आदर०तोषण कुमार चुरेन्द्रके हिंदी कविताओं का संकलन किया गया है . आप कविता बहार शब्दों का श्रृंगार हिंदी कविताओं का संग्रह में लेखक के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा किये हैं .
अजादी के अमरीत उत्सव- तोषण चुरेन्द्र दिनकर अजादी के अमरीत उत्सव भारत देश मनात हेसाल पचहत्तर पूरा होगे झंडा तिरंग लहरात हे लाल बाल अउ पाल भगत सिंहबनके तँयहा ललकार…
होली वसंत ऋतु में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण भारतीय और नेपाली लोगों का त्यौहार है। यह पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है।…
हिन्दी की महत्ता पर कविता - मानव जाति अपने सृजन से ही स्वयं को अभिव्यक्त करने के तरह-तरह के माध्यम खोजती रही है। आपसी संकेतों के सहारे एक-दूसरे को समझने…
मोर दंता ओ शिरी - तोषण चुरेन्द्र छत्तीसगाढ़ी रचना मोर दंता ओ शिरी… आरती तोर उतारँवगंगा के पानी धरके ओ दाई तोर चरन ला पखारँवमोर दंता ओ शिरी….. दंतेवाड़ा मा…
गाँव पर हिंदी कविता किसान पर कविताखेती किसानी पर कवितामैं किसान बन जाऊंगा - संतराम सलामअन्नदाता -महेन्द्र कुमार गुदवारेमैं एक गरीब ग्रामीण बुढ़ा किसान हूँअन्नदाता पर कविताभारत का किसानकिसान -…
गुरू पूर्णिमा पर कविता कविता संग्रह नित्य करें हम साधना,रखें हृदय के पास।ज्ञान रुपी आशीष से,जीवन हो मधुमास।।१।।गुरुवर की पूजा करें,गुरु ही देते ज्ञान।जिनके ही आशीष से,मिले अचल सम्मान।।२।।गुरू नाम…
यहाँ पर आम फल पर 3 कवितायेँ प्रस्तुत हैं जो कि बाल कवितायेँ हैं नाम मेरा आम नाम मेरा आम है,हूं फिर भी खास।खाते मुझको जो,पा जाते है रास। रूप…
हसदेव नदी बचाओ अभियान पर कविता कविता संग्रह रुख राई अउ जंगल झाड़ीबचालव छत्तीसगढ़ के थाती लकोनों बइरी झन चीर सकयहसदेव के छाती लकिसम किसम दवा बूटीइही जंगल ले मिलत…
राम/श्रीराम/श्रीरामचन्द्र, रामायण के अनुसार,रानी कौशल्या के सबसे बड़े पुत्र, सीता के पति व लक्ष्मण, भरत तथा शत्रुघ्न के भ्राता थे। हनुमान उनके परम भक्त है। लंका के राजा रावण का वध उन्होंने ही किया था। उनकी प्रतिष्ठा मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में है क्योंकि उन्होंने मर्यादा के पालन के…
पेड़ लगावव जिनगी बचावव-तोषण कुमार चुरेन्द्र poem on trees रूख राई डोंगरी पहाड़ी रोवत हे पुरजोर...हावा पानी कहाँ ले पाबो करलव भैय्या शोर....पेड़ लगावव जिनगी बचाववधरती दाई के प्यास बुझाववनदिया…