CLICK & SUPPORT

आम फल पर बाल कवितायेँ

यहाँ पर आम फल पर 3 कवितायेँ प्रस्तुत हैं जो कि बाल कवितायेँ हैं

नाम मेरा आम

नाम मेरा आम है,
हूं फिर भी खास।
खाते मुझको जो,
पा जाते है रास।

रूप मेरे है अनेक,
सबके मन भाता।
देख देख मुझे सब,
परमानंद को पाता।

घर घर मेरी शाख,
बनता हूं आचार।
लू में सिरका बनूँ,
दे शीतल बयार।

खट्टे मीठे स्वाद है,
मुह में पानी लाते।
खाते बच्चे चाव से,
इत उत है इठलाते।

तोषण कुमार चुरेन्द्र”दिनकर “
धनगांव डौंडीलोहारा
बालोद छत्तीसगढ़

आम-फलों का राजा

मैं फलों का राजा हूंँ,
कहते हैं मुझको आम।
मुँह में पानी आ जाता,
लेते ही मेरा नाम।।

बनता हूंँ चटनी अचार,
जब मैं कच्चा रहता।
वाह बड़ा मजा आया,
जो खाता वह कहता।

गर्मी में शर्बत मेरा,
तन को ठंडक पहुँचाता।
लू लगने से भी मैं ही,
सब लोगों को बचाता।।

पीले पीले रसीले आम,
सबका मन ललचाते।
चूस चूस कर बड़े मजे से,
बच्चे बूढ़े सब खाते।।

मैं खास से भी खास हूं,
कहते हैंं पर मुझको आम।
राजा प्रजा सब खायें,
देकर मुँहमाँगा दाम।।

प्यारेलाल साहू मरौद

मैं आम हूँ

मैं हूँ आम कभी खट्टा
तो कभी में शहद सा
मीठा मीठा मेंरास्वाद
दिखता मैं हरा पिला,

मेरे नाम अनेक है
दशहरी,लगड़ा,बादामी
आदि बच्चे, बुढे सभी
को भाता हूँ मैं आम,

मुरब्बा,पन्ना,आम रस,
अचार घर घर मे बनता
है आम मैं कच्चा पक्का
आता हूँ काम हमेशा,

गर्मी में राहत देता
हर दिल अज़ीज
देता सबको सुकून
मैं हूँ प्यारा सा आम।

मीता लुनिवाल
जयपुर, राजस्थान

CLICK & SUPPORT

You might also like