मोर दंता ओ शिरी – तोषण चुरेन्द्र
मोर दंता ओ शिरी… आरती तोर उतारँव
गंगा के पानी धरके ओ दाई तोर चरन ला पखारँव
मोर दंता ओ शिरी…..
दंतेवाड़ा मा बइठे ओ दाई दंताशिरी सुहाये
बड़ सिधवा हम तोरे लइका महतारी तिही कहाये
नरिहर बंदन फूल दसमत संग तुहिला मँयहा मनावँव
मोर दंता ओ शिरी……
महिमा तोरे बरनी न जाये नवदुर्गा तँय कहाये
कभू काली कभू चंडी बनके दानव ला मार गिराये
दरस देखादे तँय हा हो माता चरनन माथ नवावँव
मोर दंता ओ शिरी…….
पांच भगत मिल जस तोर गावय जय होवय ओ तोरे
भर दे झोली खाली ओ दाई अरजी ल सुनले मोरे
मिलके दिनकर काहत हावय तोरेच गुन ला सुनावँव
मोर दंता ओ शिरी…….
तोषण चुरेन्द्र “दिनकर”