छत्तीसगढ़ी भोजन बासी पर कविता

छत्तीसगढ़ के गाँव में बोरे बासी का बहुत ज्यादा महत्व है। मजदूर किसान सभी काम पर जाने से पहले घर से बासी खाकर निकलते हैं। बासी के महत्व को जानने वाले छत्तीसगढ़ प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल ने भी 1 मई को मजदूर दिवस के दिन बासी खाकर  मजदूरों का सम्मान करने की अपील की है। अब से छत्तीसगढ़ में मजदूर दिवस को बोरे बासी दिवस के रूप में मनाया जायेगा.

छत्तीसगढ़ी भोजन बासी पर कविता

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मय खावव बोरे बासी
संग पताली के चटनी
नइ मांगव नूडल चिप
मय खावव कसम जी

मोर बर इही अमरित
गरमी म होथे शीत
देखव अब शरीर हित
नइ मारव फैशन जी.
बासी ह अमसूर हे, जेमे डलाय नून हे
जतकी मीठ लागय, ओतकी ऐ म गुन हे
खाना बचा लेना जी, हमर संस्कृति आय
नाली म फेंकव झन, जेहर कुमति कहलाय.
जेहर कुमति कहलाय.

मय खावव बोरे बासी
संग पताली के चटनी
नइ मांगव नूडल चिप
मय खावव कसम जी

मोर बर इही अमरित
गरमी म होथे शीत
देखव अब शरीर हित
नइ मारव फैशन जी.



सुगर कमती हो ही, बीपी हद म रीही
जोन बासी खाही, एसीडिटी कम होही
पाचक बरोबर मोर, छत्तीसगढ़िहा बासी
धन्य मोर जीवन हे, मय छत्तीसगढ़ वासी
मय छत्तीसगढ़ वासी

मय खावव बोरे बासी
संग पताली के चटनी
नइ मांगव नूडल चिप
मय खावव कसम जी

मोर बर इही अमरित
गरमी म होथे शीत
देखव अब शरीर हित
नइ मारव फैशन जी.

मनीभाई नवरत्न, बसना, महासमुंद

छत्तीसगढ़ का गौरव: बासी

छत्तीसगढ़ का गौरव बासी,
बासी अपनी शान है।
अति गुणकारी,भोज्य पदार्थ,
यह गुणों की खान है।

बड़े-बड़े उद्योगपति,
इस भोजन को करते है।
गैस,अपच,एसिडिटी से,
खुद की रक्षा करते है।

कब्ज समस्या छूमंतर हो,
ताजगी दिनभर बनी रहे।
दिल दिमाग भी ठंडा रक्खे,
डिहाइड्रेशन दूर करे।

कच्ची प्याज,आम की चटनी,
इसके सच्चे साथी हैं।
दही,मही और लहसुन मिर्ची,
से भी खूब निभाती है।

ठंडी है तासीर इसकी,
लू से हमें बचाती है।
भोजन के सारे तत्व हैं इसमें,
सम्पूर्ण आहार कहाती है।

पैसों से ना तौलो इसको,
यह अनमोल खजाना है।
जिसने इसको पहचाना हो,
इसका मोल वो जाना है।

विजिया गुप्ता “समिधा”
दुर्ग-छत्तीसगढ़

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