Tag #राज किशोर धिरही

यहाँ पर हिन्दी कवि/ कवयित्री आदर0 राज किशोर धिरही के हिंदी कविताओं का संकलन किया गया है . आप कविता बहार शब्दों का श्रृंगार हिंदी कविताओं का संग्रह में लेखक के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा किये हैं .

वृक्ष कोई मत काटे

वृक्ष कोई मत काटे काटे जब हम पेड़ को,कैसे पावे छाँव।कब्र दिखे अपनी धरा,उजड़े उजड़े गाँव।।उजड़े उजड़े गाँव,दूर हरियाली भागे।पर्यावरण खराब,देख मानव कब जागे।।उपवन को मत काट,कमी को हम मिल पाटे।ऑक्सीजन से जान,वृक्ष कोई मत काटे।। देते ठंडक जो हमे,करते…

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बच्चे होते मन के अच्छे

बच्चे होते मन के अच्छे खेल कूद वो दिन भर करते,रखते हैं तन मन उत्साह।पेड़ लगा बच्चे खुश होते,चलते हैं मन मर्जी राह।।मम्मी पापा को समझाते,बन कर ज्ञानी खूब महान।बात बडों का सुनते हैं वे,रखते मोबाइल का ज्ञान।। रोज लगा…

बाते सोलह आने सच है

बाते सोलह आने सच है पानी के लिए कुँएँ बावली नल में होता है खूब जमावमहाराष्ट्र में लगा था धारा 144 देख कर भीड़ में टकराव पानी के स्रोतों के पास समूह नहीं हो सकते थे खड़ेजल संकट से जूझ…

पाँच वर्ष का है त्यौहार

पाँच वर्ष का है त्यौहार लोकतंत्र का रखना मान।जाकर करना तुम मतदान।पाँच वर्ष का है त्यौहार।चुन लेना अपनी सरकार।मत आना लालच में आप।वोट बेंचना होता पाप।सुधरे भारत की हालात।संसद भेजो रखने बात।लालच में आकर ना खोय।मत अपनी जस बेटी होय।पहनो…

नास्तिकता पर कविता

नास्तिकता पर कविता हमें पता नहींपर बढ़ रहे हैंधीरे धीरेनास्तिकता की ओरत्याग रहे हैंसंस्कारों को,आडम्बरों कोसमझ रहे हैंहकीकतअच्छा है।परजताने कोबताते हैंमैं हूँ आस्तिक।फिर भीछोंड रहे हैंहम ताबीजमजहबी टोपीनामकरण रस्मझालर उतरवानाबहुत कुछ।बढ़ रहे हैंधीरे धीरेनास्तिकता की ओरक्योंकिनास्तिकता हीवैज्ञानिकता है। राजकिशोर धिरहीकविता…