शराब पर कविता
शराब पर कविता कुण्डलिया छंद पीना छोड़ शराब को,इससे है नुकसान।तन मन खूब खराब हो,बीमारी की खान।।बीमारी की खान,रखो अपने सुध बुध को।खुश हो घर परिवार,रोक लेना तुम खुद को।छोड़ शराबी यार,अगर बढ़िया से जीना।नशा पान बेकार,कभी मत इसको पीना।। मधुशाला दर छोड़ दे,इससे तन बर्बाद।पीते आज शराब जो,पछतावा हो बाद।।पछतावा हो बाद,मिले जब घर … Read more