सच को सच जाने-राजकिशोर धिरही

दोहे: -सच को सच जाने

सच को सच जाने बिना,मुँह से कुछ मत बोल।
सच आएगा सामने,बज जाएगा ढ़ोल।।

सुनी सुनाई बात में,कुछ भी देते जोड़।
रोके हम अफवाह को,जीवन के हर मोड़।।

जात धर्म पे लड़ रहे,युग युग से इंसान।
समझे जो खुद को बड़ा,इस जग में शैतान।।

मानव मानव एक हैं,तन में हड्डी खून।
मत करना तुम भेद को,कहता है कानून।।

प्रेम दिया नित दिन जला,रोशन हो संसार।
नफरत करना कौम से,काम बहुत बेकार।।

गली गली में ज्ञान हो,मत हो कोई भूल।
जादू टोना छोड़ दे,इससे मिलता शूल।।

राजकिशोर धिरही

कविता बहार

"कविता बहार" हिंदी कविता का लिखित संग्रह [ Collection of Hindi poems] है। जिसे भावी पीढ़ियों के लिए अमूल्य निधि के रूप में संजोया जा रहा है। कवियों के नाम, प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए कविता बहार प्रतिबद्ध है।

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