सहज योग तुम कर लेना / राजेश पाण्डेय *अब्र*

yog divas

इस कविता में कवि राजेश पाण्डेय ‘अब्र’ सहज योग को अपनाने और उसके लाभों के बारे में बता रहे हैं। सहज योग एक ऐसी साधना है जो सरलता से की जा सकती है और इसके माध्यम से व्यक्ति आत्मज्ञान और शांति की प्राप्ति कर सकता है। यह योग व्यक्तिगत विकास, मानसिक शांति, और आत्मा के … Read more

समर शेष है रुको नहीं

समर शेष है रुको नहीं समर शेष है रुको नहींअब करो जीत की तैयारीआने वाले भारत कीबाधाएँ होंगी खंडित सारी ,राजद्रोह की बात करे जोउसे मसल कर रख देनादेशभक्ति का हो मशाल जोउसे शीश पर धर लेना,रुको नहीं तुम झुको नहीं अब मानवता की है बारीसुस्त पड़े सब शीर्ष पहरुएजनमानस दण्डित सारी,कालचक्र जो दिखलाए तुमउसे … Read more

रफ़्ता-रफ़्ता मेरे पास आने लगे

रफ़्ता-रफ़्ता मेरे पास आने लगे रफ़्ता-रफ़्ता मेरे पास आने लगेहर कहीं हम यहाँ गुनगुनाने लगेप्यार की अधखुली खिड़कियों की डगरएक दूजे में हम सामने लगे.इस जनम के ये बन्धन गहराने लगेदूर रहकर भी वो मुस्कुराने लगेग़म यहाँ कम मिलेगा हमारे सिवादर्द की छाँव भी अब सुहाने लगे.रिश्तों की कसौटी पे आने लगेवो हमें हम उन्हें … Read more

यादों के झरोखे से

यादों के झरोखे से ख़तमिल गयातुम्हारा कोरा देखा, पढ़ा, चूमाऔरकलेजे से लगाकररख लिया अनकही थी जो बातसब खुल गयीकालिमा भरी थी मन मेंसब धुल गयी हृदय की वीणा बज उठीछेड़ दी सरगमचाहते थे तुम कितनामगर वक़्त था कम और तुमनेकुछ नहीं लिखकर भीजैसेसब कुछ लिख दिया मैंनेदेखा, पढ़ा, चूमाफिरकलेजे से लगाकररख लिया राजेश पाण्डेय*अब्र*  अम्बिकापुर

प्रभात हो गया

प्रभात हो गया उठोप्रात हो गयाआँखें खोलोमन की गठानें खोलो आदित्य सर चढ़करबोल रहा हैऊर्जा संग मिश्रीघोल रहा है नवल ध्वज लेकरअब तुम्हेंजन मन धन के निमित्तलक्ष्य की ओरजाना हैगंतव्य के छोर परपताका फहराना है असीम शक्ति तरंगेंतुम्हारे इंतज़ार में हैं उठो !मेघनाद की तरहहुंकार भरोघन गर्जन करो बढो!हासिल करोविजयी बनोइतिहास रचोसमर तुम्हारा है भाग्य … Read more