विश्व करुणा दिवस पर विशेष शायरी

एक बेटी की करूणा जो अपने जन्म पर अपराधी सा महसूस करती अपनी मां को धैर्य बंधाती है

कन्या पूजन या भ्रूणहत्या -राकेश सक्सेना

प्रस्तुत कविता का शीर्षक – “कन्या – पूजन या भ्रूण हत्या” समाज के उन लोगों से सवाल है जो एक तरफ तो देवी स्वरूपा कन्या का पूजन करते हैं वहीं अपने परिवार में बेटी होने का दुःख मनाते हैं। इसी विषय वस्तु को आधार मानकर रची गई है।

रिश्तों का ख़ून – 15 मई विश्व परिवार दिवस विशेष कविता

ख़ून के रिश्ते सम्भालो,
रिश्तों का ना ख़ून करो।।

परिवार – सिर्फ पति-पत्नी और एक-दो बच्चों से ही नहीं बल्कि परिवार पूरा खानदान होता है। हमारे खून के रिश्ते ही मिलकर एक परिवार बनता है – राकेश सक्सेना

चादर जितने पांव पसारो – राकेश सक्सेना

इंसान को हैसियत को समझ कर ही कार्य करना चाहिए
चादर जितने पांव पसारो घर घर की कहानी