भोर पर कविता -रेखराम साहू

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भोर पर कविता –रेखराम साहू सत्य का दर्शन हुआ तो भोर है ,प्रेम अनुगत मन हुआ तो भोर है। सुप्त है संवेदना तो है निशा ,जागरण पावन हुआ तो भोर है। द्वेष की दावाग्नि धधकी हो वहाँ,स्नेह का सावन हुआ तो भोर है। त्याग जड़ता,देश-कालोचित जहाँ,कर्म-तीर्थाटन हुआ तो भोर है। क्षुद्र सीमा तोड़,धरती घर हुई … Read more

बीज मनुज का शैशव है-रेखराम साहू

बीज मनुज का शैशव है आभासी परिदृश्यों से अब,हुआ प्रभावित बचपन है।नयी दृष्टि है,सोच नयी है,विश्व हुआ अधुनातन है!! परिवेशों से अर्जित करता,सद्गुण-दुर्गुण मानव है।युगों-युगों से तथ्य प्रमाणित,बीज मनुज का शैशव है।।शैशव में पोषित मूल्यों से ,बनता भावी जीवन है.. बिना सुसंस्कृति,अंधी शिक्षा,और पंगु है आविष्कार।स्वस्थ व्यक्ति निर्माण-सूत्र है,“हो सम्यक् आहार-विहार “।।ध्यान रहे यह नित्य,ज्ञान … Read more

जस्टीशिया(न्याय की देवी) -रेखराम साहू

जस्टीशिया(न्याय की देवी) –रेखराम साहू न्याय की अवधारणा,प्रतिमूर्ति में साकार है।ग्रस्त जो अन्याय से,उनका लिखा उपचार है।। नेत्र की पट्टी प्रदर्शित कर रही निश्पक्षता।है तुला,हो न्याय में व्यवहार की समकक्षता।।न्याय के रक्षार्थ कर में शक्ति की तलवार है… शेष कितना मूल्य है,अब न्याय के प्रतिमान का !वंचना यह निर्बलों को , ढाल सत्तावान का।।लोभ या … Read more

गौतम बुद्ध पर रचना ( विश्व करुणा दिवस विशेष)

गौतम बुद्ध एक श्रमण थे जिनकी शिक्षाओं पर बौद्ध धर्म का प्रचलन हुआ। इनका जन्म लुंबिनी में हुआ था। 29 वर्ष की आयुु में सिद्धार्थ विवाहोपरांत एक मात्र प्रथम नवजात शिशु राहुल और धर्मपत्नी यशोधरा को त्यागकर संसार को जरा, मरण, दुखों से मुक्ति दिलाने के मार्ग एवं सत्य दिव्य ज्ञान की खोज में रात्रि में राजपाठ का मोह त्यागकर वन की ओर चले गए। वर्षों … Read more

संविधान पर दोहे

doha sangrah

——संविधान—— सपने संत शहीद के,थे भारत के नाम।है उन स्वप्नों का सखे, संविधान परिणाम।। पुरखों ने निज अस्थियों,का कर डाला दाह।जिससे पीढ़ी को मिले, जगमग ज्योतित राह।। संविधान तो पुष्प है, बाग त्याग बलिदान।अगणित अँसुवन धार ने,सींची ये मुस्कान।। भीमराव अंबेडकर,थे नव भारत दूत।संविधान शिल्पी कुशल, सच्चे धरा सपूत।। लोकतंत्र संदर्भ में, संविधान का अर्थ।ऐसी … Read more