Tag: #रिखब चन्द राँका ‘कल्पेश’

यहाँ पर हिन्दी कवि/ कवयित्री आदर0रिखब चन्द राँका ‘कल्पेश’ के हिंदी कविताओं का संकलन किया गया है . आप कविता बहार शब्दों का श्रृंगार हिंदी कविताओं का संग्रह में लेखक के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा किये हैं .

  • सरस्वती वन्दना

    सरस्वती वन्दना


    विनती करता हूँ शारदे माता,विद्या का हमको वरदान दे  दे।
    हम झुके तेरे चरणों में निशदिन,तेरा आसरा हम सबको दे दे।
    विनती———
    हर वाणी में सरगम है तेरा ,तू हमें स्वर का राग सिखा दे।
    हर गीत बन जाए धड़कन,नृत्य पे सुर लय ताल मिला दे।
    मन की वीणा के तार बजाकर, सुरमय संगीत हमारा कर दे।
    विनती——— ।
    हम गुणगान करते है तेरा,तू हमें सच की राह दिखा दे।
    विनयशाली बन जाए हम सब,दिव्य बुद्धि का अमृत पिला दे।
    मन में ज्ञान दीपक जलाकर,जगमग जीवन ‘रिखब’ का कर दे।
    विनती——— ।
    विनती करता हूँ शारदे माता,विद्या का हमको वरदान दे दे।
    हम झुके तेरे चरणों में निशदिन,तेरा आसरा हम सबको दे दे।
    स्वरचित एवं सर्वाधिकार सुरक्षित @रिखब चन्द राँका कल्पेश 
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  • हिन्दी की बिंदी में शान

    हिन्दी की बिंदी में शान

    हिन्दी भाषा की बिंदी  में शान।
    तिरंगे के गौरव गाथा की आन।।
    राजभाषा का ये पाती सम्मान।
    राष्ट्रभाषा से मेरा भारत महान ।।


    संस्कृत के मस्तक पर चमके।
    सिंधी,पंजाबी चुनरी में दमके।।
    बांग्ला,कोंकणी संग में थिरके।
    राजस्थानी चूड़ियों में खनके ।।


    लिपि देवनागरी रखती ध्यान।
    स्वर व्यंजन में है इसकी शान।।
    मात्राओं का हमें कराती ज्ञान।
    शब्द भंडार है अनमोल खान।।

    हिन्दी से राष्ट्र का नव निर्माण।
    जन- जन का करती कल्याण।।
    दुनिया में भारत की  पहचान।
    हिंदी से होगा जग का उत्थान।।


    कबीर, मीरा, तुलसी, रसखान।
    सबने गाया हिन्दी का गुणगान।।
    ‘रिखब’ करता शारदे का ध्यान ।
    पाता निशदिन अनुपम वरदान ।।


    ©रिखब चन्द राँका ‘कल्पेश’
    ‘जयपुर

  • जीवन की डगर

    जीवन की डगर

    कुछ तुम चलो,कुछ हम चलें,
    जीवन की डगर पर साथ चले।
    लक्ष्य को पाना है एक दिन,
    निशदिन समय के साथ चलें।
    सुख दु:ख के हम सब साथी,
    अपनत्व प्यार बाँटते चलें।
    अटल विश्वास हमारा मन में,
    मंज़िल की ओर हम बढ़ चलें।
    हिम्मत,परिश्रम और लगन से,
    अनेक बाधाओं के पार चलें।
    मोह माया के इस भँवर जाल से,
    भक्ति की नैया से भव तर चलें।
    नफरत की अजब इस दुनिया में,
    सद्भाव के नए तराने गाते चलें।
    प्रत्येक राहगीर के मन मंदिर में,
    दिव्य ज्ञान के दीप जलाते चलें।
    पथ में मिल जाए गर दीन-दुखी,
    ‘रिखब’सबको गले लगाते चलें।
    कुछ तुम चलो,कुछ हम चलें,
    जीवन की डगर पर साथ चलें।
    ® रिखब चन्द राँका ‘कल्पेश’
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  • वो स्काउट कैम्प है मेरा

    वो स्काउट कैम्प है मेरा

    जहाँ प्रकृति की सुंदर गोदी में स्काउट करता है बसेरा
    वो स्काउट कैम्प है मेरा
    जहाँ सत्य सेवा और निष्ठा का हर पल लगता है फेरा
    वो स्काउट कैम्प है मेरा
    यह धरती जहाँं रोज फहरता,नीला झण्डा हमारा
    जहाँ जंगल में मंगल करता है,स्काउट वीर हमारा
    जहाँ शिविर संचालक सबसे पहले डाले तम्बू डेरा
    वो स्काउट कैम्प है मेरा —-
    बालचरों की इस नगरी के काम भी नित अलबेले
    कभी लेआउट की झटपट है, कभी हाइक के रेले
    मौज मस्ती का रात में लगता, शिविर ज्वाला घेरा
    वो स्काउट कैम्प है मेरा ———-
    जहाँ मान सभा में बातें करते, पेट्रोल लीडर सारे
    सभी शिविर में नीली ड्रेस पर,गले में स्कार्फ डारे
    तीन अंगुली से सेल्यूट करता,पॉवेल ‘रिखब’ तेरा
    वो स्काउट कैम्प है मेरा ——-
    जहाँ प्रकृति की सुंदर गोदी में, स्काउट करता है बसेरा
    वो स्काउट कैम्प है मेरा
    जहाँ सत्य सेवा और निष्ठा का,हर पल लगता है फेरा
    वो स्काउट कैम्प है मेरा

     रिखब चन्द राँका ‘कल्पेश’जयपुर राजस्थान

  • नमन हे विश्ववन्दनीय महावीर

    नमन हे विश्ववन्दनीय महावीर

    त्याग और अहिंसा की मूर्ति है महावीर।
    क्षमा और करूणा का सागर है महावीर।
    दर्शन ज्ञान चरित्र की ज्योति है महावीर।
    ‘रिखब’का नमन हे विश्ववन्दनीय महावीर!
    राजा सिद्धारथ के घर जन्में,
    माता जिसकी त्रिशला रानी।
    तीर्थंकर प्रभु की याद दिलाने,
    आई प्यारी महावीर जयन्ति।
    चैत्रशुक्ल दिन त्रयोदशी आया,
    कुण्डलपुर नगरी अानंद छाया।
    दिव्य स्वरूप धरती पर आया,
    जन्मदिवस का उत्सव मनाया।
    राजमहल में मंगल घड़ियाँ आई,
    मृदंग,ढ़ोल, नगाड़े बजी शहनाई।
    राजा सिद्धारथ का कुटुंब हर्षाया,
    नगरवासियों ने मंगल गीत गाया।
    स्वर्णिम मंगल शुभावसर आया,
    इंद्र स्वर्ण कलश जल भर लाया।
    मेरू पर्वत पर अभिषेक कराया,
    देवियों ने लाल पालना झुलाया।
    स्वर्ग से वसुधा पर देवगण आए,
    प्रभु के दर्शन कर गुणगान गाए।
    धन धान्य अभिवृद्धि हुई अपार,
    राजकोष में भरा अतुल्य भंडार।
    ‘जियो और जीने दो’ है महान,
    जीव दया का दान है सम्मान।
    अहिंसा परमो धर्म से कल्याण,
    जैन धर्म का होगा नव निर्माण।
    अहिंसा के अवतार है महावीर,
    त्याग, तप करूणा के आधार।
    श्रीमहावीर जिनशासन सरकार,
    ‘रिखब’ का वंदन करो स्वीकार।

    रिखब चन्द राँका ‘कल्पेश’
    जयपुर राजस्थान