सागर पर हिंदी कविता – सुकमोती चौहान रुचि

सागर पर हिंदी कविता सागर गहरा ज्ञान सा, बड़ा वृहद आकार |कौन भला नापे इसे, डूबा ले संसार |डूबा ले संसार, नहीं सीमा है कोई |कहलाये रत्नेश, यही कंचन की लोई |कहती रुचि यह बात , यही मस्ती का आगर |अनुपम दे आनंद,देख लो गहरा सागर || सागर तट पर बैठकर ,लहरें गिनकर आज |भाव … Read more

सागर- मनहरण घनाक्षरी

सागर- मनहरण घनाक्षरी पोखर व झील देखो , जिसमें न गहराई ,थोड़ा सा ही जल पाय, मारते उफान हैं I सागर को देखो वहाँ , नदियाँ हैं कई जहाँ ,सबको  समेट   हिय , करे  न  गुमान  है I जिसका न ओर छोर , दिल में अथाँह ठोर ,सबको  ही  एक  रस , देता  सम्मान  है  … Read more