हृदय के ताप हरे-सत्यम प्रकाश ‘ऋतुपर्ण’
कविता सांसारिक चक्र के दुःख संकट से घबराकर भागने की अपेक्षा इन सब विपत्तियों को चुनौती की तरह स्वीकार कर कृष्ण के कर्मयोग पथ पर चलने की राह प्रशस्त करती है।
यहाँ पर हिन्दी कवि/ कवयित्री आदर० सत्यम प्रकाश ‘ऋतुपर्ण’ के हिंदी कविताओं का संकलन किया गया है . आप कविता बहार शब्दों का श्रृंगार हिंदी कविताओं का संग्रह में लेखक के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा किये हैं .
कविता सांसारिक चक्र के दुःख संकट से घबराकर भागने की अपेक्षा इन सब विपत्तियों को चुनौती की तरह स्वीकार कर कृष्ण के कर्मयोग पथ पर चलने की राह प्रशस्त करती है।
यह मेरी मौलिक जागरण कविता है,जो उपेन्द्रवज्रा छंद में है।जब कभी मन जीवन के उद्देश्य से भटककर नैराश्य और अंधकार की ओर प्रवृत होने लगता है,तब यह कविता नई ऊर्जा और नया उद्देश्य देती है।